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जीवाजीवाभिगम सूत्र •••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••• रियारियं भंतसंभंतं णाम दिव्वं णट्टविहिं उवदंसेंति, अप्पेगइया देवा चउव्विहं वाइयं वाएंति, तंजहा-ततं विततं घणं झुसिरं, अप्पेगइया देवा चउव्विहं गेयं गायंति, तंजहाउक्खित्तयं पवत्तयं मंदायं रोइयावसाणं, अप्पेगइया देवा चउव्विहं अभिणयं अभिणयंति, तंजहा-दिलृतियं पाडंतियं सामंतोवणिवाइयं लोगमज्झावसाणियं॥ .
भावार्थ - कोई देव द्रुत नामक नाट्य विधि का प्रदर्शन करते हैं, कोई देव विलम्बित नाट्यविधि का प्रदर्शन करते हैं, कोई देव द्रुतविलम्बित नाट्य विधि का प्रदर्शन करते हैं, कोई देव अंचित नामक नाट्यविधि का, कोई रिभित नाट्यविधि, कोई अंचित-रिभित नाट्यविधि, कोई आरंभट नाट्यविधि; कोई भसोल नाट्यविधि, कोई आरभट-भसोल नाट्यविधि, कोई उत्पात-निपात प्रवृत्त संकुचित प्रसारित, रेक्करचित (गमनागमन) भ्रान्त संभान्त नामक नाट्यविधियां प्रदर्शित करते हैं।
विवेचन - प्रस्तुत सूत्र में कुछ नाट्य विधियों का उल्लेख किया गया है। राजप्रश्नीय सूत्र में सूर्याभदेव द्वारा भगवान् महावीर स्वामी के सम्मुख दिखाये गए बत्तीस प्रकार के नाटकों का वर्णन किया गया है। जिज्ञासुओं को नाट्य विधियों का वर्णन राजप्रश्नीय सूत्र से देख लेना चाहिए। ___ कोई देव चार प्रकार के वादिन्त्र बजाते हैं। यथा - तत, वितत, घन और झुषिर। कोई देव चार प्रकार के गेय गाते हैं। वे चार गेय हैं - उत्क्षिप्त, प्रवृत्त, मंद और रोचितावसान। कोई देव 'चार प्रकार के अभिनय करते हैं। वे इस प्रकार हैं - दार्टान्तिक प्रतिश्रुतिक, सामान्यतोविनिपातिक और लोक मध्यावसान। ___ अप्पेगइया देवा पीणंति, अप्पेगइया देवा वुक्कारेंति, अप्पेगइया देवा तंडवेंति, अप्पेगइया देवा लासेंति, अप्पेगइया देवा पीणंति वुक्कारेंति तंडवेंति लासेंति, अप्पेगइया देवा वुक्कारेंति, अप्पेगइया देवा अप्फोडंति, अप्पेगइया देवा वग्गंति, अप्पेगइया देवा तिवई छिंदंति, अप्पेगइया देवा अप्फोडेंति वग्गंति तिवई छिंदेंति, अप्पेगइया देवा हयहेसियं करेंति, अप्पेगइया देवा हत्थिगुलगुलाइयं करेंति, अप्पेगइया देवा रहघणघणाइयं करेंति, अप्पेगइया देवा हयहेसियं करेंति हत्थिगुलगुलाइयं करेंति रहघणघणाइयं करेंति, अप्पेगइया देवा उच्छोलेंति, अप्पेगइया देवा पच्छोलेंति, (अप्पेगइया देवा उक्किट्टि करेंति) अप्पेगइया देवा उक्किट्ठीओ करेंति, अप्पेगइया देवा उच्छोलेंति पच्छोलेंति उक्किट्ठीओ करेंति, अप्पेगइया देवा सीहणायं करेंति, अप्पेगइया देवा पायदद्दरयं करेंति, अप्पेगइया देवा भूमिचवेडं दलयंति, अप्पेगइया देवा सीहणायं पायदहरयं भूमिचवेडं दलयंति, अप्पेगइया देवा हक्कारेंति, अप्पेगइया
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