________________
७२
जीवाजीवाभिगम सूत्र
विवेचन - प्रज्ञापना सूत्र में मत्स्य आदि जलचर जीवों के भेद इस प्रकार बताये गये हैं -
१. मत्स्यों के भेद - मत्स्य अनेक प्रकार के कहे गये हैं जैसे - श्लक्ष्ण मत्स्य, खवल्ल मत्स्य, युग मत्स्य, भिब्भिय मत्स्य, हेलिय मत्स्य, मंजरिया मत्स्य, रोहित मत्स्य, हलीसागर मत्स्य, मोगरावड, वडगर तिमिमत्स्य, तिमिंगला मत्स्य, तंदुल मच्छ, काणिक्क मच्छ, सिलेच्छिया मच्छ, लंभण मच्छ पताका मत्स्य, पताकाति पत्ताका मत्स्य, नक्र मत्स्य अन्य भी इसी प्रकार के जितने भी मत्स्य हैं वे भी इसी के अंतर्गत समझना चाहिये।
२. कच्छपों के भेद - कच्छप दो प्रकार के कहे गये हैं - १. अस्थि कच्छप २. मंसल कच्छप।
३. ग्राह के भेद - ग्राह पांच प्रकार के कहे गये हैं यथा - १. दिली २. वेढंग ३. मृदुग ४: पुलग और ५. सीमागार।
४. मगर के भेद - मगर के दो भेद हैं - १. सोंड मगर और २. मृट्ठ मगर।
५.सुंसुमार के भेद - सुंसुमार एक ही प्रकार का होता है। ... - जिज्ञासुओं को इन सब जलचर सम्मूर्च्छिम पंचेन्द्रिय तिर्यग्योनिक जीवों का विस्तृत वर्णन . प्रज्ञापना सूत्र के प्रथम पद में देख लेना चाहिये।
तेसि णं भंते! जीवाणं कइ सरीरगा पण्णत्ता?
गोयमा! तओ सरीरगा पण्णत्ता तं जहा - ओरालिए तेयए कम्मए। सरीरोगाहणा जहण्णेणं अंगुलस्स असंखेन्जइभागं उक्कोसेणं जोयण सहस्सं, छेवट्ठसंघयणी, हुंडसंठिया, चत्तारि कसाया, सण्णाओ वि, लेसाओ तिण्णि, इंदिया पंच, समुग्घाया तिण्णि, णो सण्णी असण्णी, णपुंसगवेया, पज्जत्तीओ अपज्जत्तीओ य पंच, दो दिट्ठीओ, दो दंसणा, दो णाणा दो अण्णाणा, दुविहे जोगे, दुविहे उवओगे, आहारो छहिसिं, उववाओ तिरियमणुस्सेहितो णो देवेहितो णो णेरइएहितो, तिरिएहितो असंखेज्जवासाउयवजेहिंतो, अकम्मभूमग अंतरदीवग असंखेज्जवासाउय वजेसु मणुस्सेसु, ठिई जहण्यणेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं पुवकोडी, मारणंतिय समुग्घाएणं दुविहावि मरंति, अणंतरं उव्वट्टित्ता कहिं उववज्जति? णेरइएसुवि तिरिक्खजोणिएसु वि मणुस्सेसु वि देवेसु वि, जेरइएसु रयणप्पहाए, सेसेसु पडिसेहो, तिरिएसु सव्वेसु उववजंति संखेन्जवासाउएसु वि असंखेज्जवासाउएस वि चउप्पएसु पक्खीसु वि मणुस्सेसु सव्वेसु कम्मभूमिएसु णो अकम्मभूमिएसु अंतरदीवएसु वि संखिज्जवासाउएसु वि असंखिज्जवासाउएसु वि (पज्जत्तएसु वि अपज्जत्तएसुवि) देवेसुजाव वाणमंतरा,
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org