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जीवाजीवाभिगम सूत्र
विसुद्धलेस्से णं भंते! अणगारे असमोहएणं अप्पाणेणं अविसुद्धलेस्सं देवं देविं अणगारं जाणइ पासइ?
हंता जाणइ पासइ। जहा अविसुद्धलेस्सेणं छ आलावगा एवं विसुद्धलेस्सेण वि छ आलावगा भाणियव्वा जाव विसुद्धलेस्से णं भंते! अणगारे समोहयासमोहएणं अप्पाणेणं विसुद्धलेस्सं देवं देविं अणगारं जाणइ पासइ? .
हंता जाणइ पासइ॥१०३॥
भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन्! अविशुद्ध लेश्या वाला अनगार समुद्घात से विहीन आत्मा द्वारा क्या अविशुद्ध लेश्या वाले देव को, देवी को और अनगार को जानता देखता है ? ..
उत्तर - हे गौतम! यह अर्थ समर्थ नहीं है अर्थात् वह जानता देखता नहीं है।
प्रश्न - हे भगवन्! अविशुद्ध लेश्या वाला अनगार समुद्घात से विहीन आत्मा द्वारा क्या विशुद्ध लेश्या वाले देव को, देवी को और अनगार को जानता देखता है।
उत्तर - हे गौतम! यह अर्थ समर्थ नहीं है।
प्रश्न - हे भगवन्! अविशुद्ध लेश्या वाला अनगार समुद्घात युक्त आत्मा द्वारा क्या अविशुद्ध लेश्या वाले देव को, देवी को और अनगार को जानता है, देखता है ? . उत्तर - हे गौतम! यह अर्थ समर्थ नहीं है।
प्रश्न - हे भगवन्! अविशुद्ध लेश्या वाला अनगार समुद्घात युक्त आत्मा द्वारा क्या अविशुद्ध लेश्या वाले देव को, देवी को और अनगार को जानता देखता है?
उत्तर - हे गौतम! यह अर्थ समर्थ नहीं है।
प्रश्न - हे भगवन्! अविशुद्ध लेश्या वाला अनगार समवहत-असमवहत आत्मा द्वारा क्या अविशुद्ध लेश्या वाले देव को, देवी को और अनगार को जानता देखता है ?
उत्तर- हे गौतम! यह अर्थ समर्थ नहीं है।
प्रश्न - हे भगवन्! अविशुद्ध लेश्या वाला अनगार संमुद्घात से समवहत-असमवहत आत्मा द्वारा क्या विशुद्ध लेश्या वाले देव को, देवी को और अनगार को जानता देखता है ?
उत्तर - हे गौतम! यह अर्थ समर्थ नहीं है।
प्रश्न - हे भगवन्! विशुद्ध लेश्या वाला अनगार समुद्घात द्वारा असमवहत आत्मा द्वारा अविशुद्ध लेश्या वाले देव को, देवी को और अनगार को जानता देखता है ?
- उत्तर - हाँ, गौतम! जानता देखता है। जिस प्रकार अविशुद्ध लेश्या वाले अनगार के लिए छह आलापक कहे हैं उसी प्रकार छह आलापक विशुद्ध लेश्या वाले अनगार के लिए भी कह देने चाहिये यावत्
प्रश्न - हे भगवन् ! विशुद्ध लेश्या वाला अनगार समवहत-असमवहत आत्मा द्वारा क्या विशुद्ध लेश्या वाले देव को, देवी को और अनगार को जानता देखता है ?
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