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जीवाजीवाभिगम सूत्र
चउप्पयथलयर पंचेंदिय तिरिक्खजोणिया गब्भवतिय चउप्पयथलयर पंचेंदिय तिरिक्खजोणिया य, जहेव जलयराणं तहेव चउक्कओ भेओ, से तं चउप्पय थलयर पंचेंदिय तिरिक्खजोणिया।
से कि तं परिसप्प थलयर पंचेंदिय तिरिक्खजीणिया? Virals
परिसप्प थलयर पंचेदिय तिरिक्खजोणिया दुविहां पण्णता, तं जहां - उरगपरिसप्प थलयर पंचेंदिय तिरिक्खजोणिया भुयगपरिसप्प थलयर पंचेंदिय तिरिक्खजोणिया। 2 से किं तं उरगपरिसप्प थलयर पंचेंदिय तिरिक्खजोणिया?
णिया दावहा-पण्ण जलयराणं तहेव चउक्कओ भेओ, एवं भूयगपरिसप्पाण वि भाणियव्वं, से तं भुयगपरिसप्प थलयर पंचेंदिय तिरिक्खजोणिया, से तं थलयर पंचेंदियं तिरिक्खजोणिया। . - 10F
. भावार्थ - स्थलचर पंचेन्द्रिय तिर्यंचयोनिक कितने प्रकार के कहे गये हैं। __स्थलचर पंचेन्द्रिय तिर्यंचयोनिक दो प्रकार के कहे गये हैं। वे इस प्रकार हैं - १. चतुष्पद
Accomopana यथलस
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ताजहा
ASIAMERASH स्थलचर पचीन्द्रय तियचयीनिक और २. परिसर्प स्थलचर पंचेन्द्रिय तिर्यंचयोनिक।
चतुष्पद स्थलचर पंचेन्द्रिय तिर्यंचयोनिक का क्या स्वरूप है? ___ चतुष्पद स्थलचर पंचेन्द्रिय तिर्यंच दो प्रकार के कहे गये हैं। यथा - १. सम्मूर्छिम चतुष्पद स्थलचर पंचेन्द्रिय तिर्यंच और २. गर्भज चतुष्पद स्थलचर पंचेन्द्रिय तिर्यंच। जिस प्रकार जलचरों के विषय में चार भेद कहे हैं उसी प्रकार यहां भी चार भेद समझ लेने चाहिये। यह चतुष्पद स्थलचर पैचेन्द्रिय तिर्यंच योनिक का वर्णन हुआ।
थलचर पचेन्द्रिय तियंचयानिक का क्या
वरूप है.?
परिसर्प स्थलचर पंचेन्द्रिय तियंचयोनिक दो प्रकार के कहे गये हैं। यथा - उरपरिसर्प स्थलचर पंचेन्द्रिय तिर्यंच और भुजपरिसर्प स्थलचर पंचेन्द्रिय तिर्यंच।
उरपरिसर्प स्थलचर पंचेन्द्रिय तिर्यंच का क्या स्वरूप है ?
उरपरिसर्प स्थलचर पंचेन्द्रिय तियेच दो प्रकार के कहे गये हैं। जिस प्रकार जलचरों के चार भेद कहे हैं उसी प्रकार यहाँ चार भेद कह देने चाहिये। इसी प्रकार भुजपरिसों के भी चार भेद समझने चाहिये। यह भुजपरिसर्प स्थलचर पंचेन्द्रिय तिर्यंचयोनिक का वर्णन हुआ। इस प्रकार स्थलचर पंचेन्द्रिय तियंचों का कथन हुआ।
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