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जीवाजीवाभिगम सूत्र
इमीसे णं भंते! रयणप्पभाए पुढवीए तणुवायवलए केवइयं बाहल्लेणं पण्णत्ते ? गोयमा ! छक्कोसेणं बाहल्लेणं पण्णत्ते; एवं एएणं अभिलावेणं सक्करप्पभाए सत्तिभागे छक्कोसे बाहल्लेणं पण्णत्ते । वालुयप्पभाए तिभागूणे सत्तकोसं बाहल्लेणं पण्णत्ते । पंकप्पभाए पुढवीए सत्तकोसं बाहल्लेणं पण्णत्ते । धूमप्पभाए सतिभागे सत्तकोसे बाहल्लेणं पण्णत्ते । तमप्पभाए तिभागूणे अट्ठकोसे बाहल्लेणं पण्णत्ते । असत्तमाए पुढवीए अट्ठकोसे बाहल्लेणं पण्णत्ते ।
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भावार्थ - प्रश्न- हे भगवन् ! इस रत्नप्रभा पृथ्वी का तनुवात वलय कितनी मोटाई वाला कहा गया है ?
उत्तर - हे गौतम! रत्नप्रभा पृथ्वी का तनुवात वलय छह कोस की मोटाई का है। इसी प्रकार शर्कराप्रभा का तनुवात वलय तीन भाग सहित छह कोस का, बालुकाप्रभा का तीन भाग न्यून सात कोस का, पंकप्रभा का सात कोस का, धूमप्रभा का तीन भाग सहित सात कोस का, तमः प्रभा का तीन भाग न्यून आठ कोस का और अधः सप्तम पृथ्वी का तनुवातवलय आठ कोस की मोटाई वाला कहा गया है। विवेचन - प्रस्तुत सूत्र में सातों पृथ्वियों के घनोदधि वलय, घनवात वलय और तनुवात वलयों की मोटाई का वर्णन किया गया है।
इमीसे णं भंते! रयणप्पभाए पुढवीए घणोदहि वलयस्स छ, छज्जोयणबाहल्लस्स खेत्तच्छेएणं छिज्जमाणस्स अत्थि दव्वाइं वण्णओ काल जाब हंता अत्थि ।
सक्करप्पभाए णं भंते! पुढवीए घणोदहि वलयस्स सतिभाग छज्जोयण बाहल्लस्स खेत्तच्छेएणं छिज्जमाणस्स जाव हंता अस्थि । एवं जाव अहेसत्तमाए जं जस्स बाहल्लं । भावार्थ प्रश्न- हे भगवन् ! इस रत्नप्रभा पृथ्वीं के छह योजन बाहल्य वाले और बुद्धि कल्पित प्रतर आदि विभाग वाले घनोदधि वलय में वर्ण से काले आदि द्रव्य हैं क्या ?
उत्तर - हाँ, गौतम ! हैं ।
प्रश्न - हे भगवन् ! इस शर्कराप्रभा पृथ्वी के तीन भाग सहित छह योजन बाहल्य वाले और प्रतरादि विभाग वाले घनोदधि वलय में वर्ण से काले आदि द्रव्य हैं क्या ?
उत्तर - हाँ, गौतम ! हैं । इस प्रकार जितना बाहल्य है उतना कह कर अधः सप्तम पृथ्वी के घनोदधि वलय तक कह देना चाहिये ।
इमीसे णं भंते! रयणप्पभाए पुढवीए घणवायवलयस्स अद्धपंचम जोयणबाहल्लस्स खेत्तच्छेएणं छिज्जमाणस्स जाव हंता अत्थि । एवं जाव अहेसत्तमाए जं जस्स बाहल्लं । एवं तणुवाय वलयस्स वि जाव अहेसत्तमाए जं जस्स बाहल्लं ।
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