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तृतीय प्रतिपत्ति - प्रथम नैरयिक उद्देशक - नरकों का संस्थान
नरकों का संस्थान इमा णं भंते! रयणप्पभा पुढवी किं संठिया पण्णत्ता? गोयमा! झल्लरिसंठिया पण्णत्ता। इमीसे णं भंते! रयणप्पभाए पुढवीए खरकंडे किं संठिए पण्णत्ते? गोयमा! झल्लरि संठिए पण्णत्ते। इमीसे णं भंते! रयणप्पभाए पुढवीए रयणकंडे किं संठिए पण्णत्ते?
गोयमा! झल्लरि संठिए पण्णत्ते। एवं जाव रिटे। एवं पंकबहुले वि एवं आवबहुले वि घणोदहि वि घणवाए वि तणुवाए वि ओवासंतरे वि सव्वे झल्लरि संठिया पण्णत्ता। .. कठिन शब्दार्थ - झल्लरि संठिया - झालर के आकार का। .
भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन्! इस रत्नप्रभा पृथ्वी का कैसा आकार कहा गया है ?
उत्तर - हे गौतम! यह रत्नप्रभा पृथ्वी झालर के आकार की अर्थात् विस्तृत वलयाकार है। . प्रश्न - हे. भगवन् ! इस रत्नप्रभा पृथ्वी के खरकाण्ड का आकार कैसा है ? - उत्तर - हे गौतम!.खरकाण्ड झालर के आकार का है। . प्रश्न - हे भगवन् ! इस रत्नप्रभा पृथ्वी के रत्नकाण्ड का कैसा आकार है ?
उत्तर - हे गौतम! रत्नकाण्ड झालर के आकार का है। इसी प्रकार रिष्ट काण्ड तक कह देना चाहिये। इसी प्रकार पंकबहुल काण्ड, अप्बहुल काण्ड, घनोदधि, घनवात, तनुवात और आकाश सभी झालर के आकार के कहे गये हैं। - सक्करप्पभा णं भंते! पुढवी किं संठिया पण्णत्ता?
गोयमा! झल्लरि संठिया पण्णत्ता। सक्करप्पभा ए णं भंते! पुढवीए घणोदही किं संठिए पण्णत्ते? .
गोयमा! झल्लरि संठिए पण्णत्ते, एवं जाव ओवासंतरे जहा सक्करप्पभाए वत्तव्वया एवं जाव अहेसत्तमाए वि॥७४॥
भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन्! शर्कराप्रभा पृथ्वी का आकार कैसा कहा गया है? उत्तर - हे गौतम! शर्कराप्रभा पृथ्वी का आकार झालर जैसा कहा गया है। . . प्रश्न - हे भगवन् ! शर्कराप्रभा पृथ्वी के घनोदधि का आकार कैसा है ? " उत्तर - हे गौतम! शर्कराप्रभा पृथ्वी के घनोदधि का आकार झालर जैसा है।
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