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द्वितीय प्रतिपत्ति - नपुंसकों का अल्पबहुत्व
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प्रमाण वाले हैं।
असंख्यात भागवर्ती आकाश प्रदेश राशि तुल्य है। उनसे छठी पृथ्वी के नैरयिक नपुंसक असंख्यातगुणा हैं। उनसे पांचवीं पृथ्वी के नैरयिक नपुंसक असंख्यातगुणा हैं, उनसे चौथी पृथ्वी के नैरयिक नपुंसक असंख्यातगुणा हैं, उनसे तीसरी पृथ्वी के नैरयिक नपुंसक असंख्यातगुणा, उनसे दूसरी पृथ्वी के नैरयिक नपुंसक असंख्यातगुणा हैं क्योंकि ये सभी पूर्व पूर्व नैरयिकों के परिमाण की हेतुभूत श्रेणी के असंख्यातवें भाग की अपेक्षा असंख्यातगुणा असंख्यातगुणा श्रेणी के भागवर्ती आकाशप्रदेश राशि प्रमाण है। दूसरी नरक के नैरयिक नपुंसक असंख्यातगुणा हैं क्योंकि ये अंगुल मात्र प्रदेश की प्रदेश राशि के प्रथम वर्ग मूल को द्वितीय वर्गमूल से गुणा करने पर जितनी प्रदेश राशि होती है उसके बराबर घनीकृत लोक की एक प्रादेशिक श्रेणियों में जितने आकाश प्रदेश हैं उतने प्रमाण वाले हैं।
प्रत्येक नरक पृथ्वी के पूर्व, उत्तर, पश्चिम दिशा के नैरयिक सबसे थोड़े हैं उनसे दक्षिण दिशा के नैरयिक असंख्यातगुणा हैं। पूर्व पूर्व की नरक पृथ्वियों की दक्षिण दिशा के नैरयिक नपुंसकों की अपेक्षा पश्चानुपूर्वी से आगे आगे की पृथ्वियों से उत्तर और पश्चिम दिशा में रहे हुए नैरयिक नपुंसक असंख्यातगुणा अधिक हैं। प्रज्ञापना सूत्र के तीसरे पद में भी ऐसा ही वर्णन है। यह . दूसरा अल्पबहुत्व हुआ।
एएसिणं भंते! तिरिक्खजोणियणपुंसगाणं एगिदिय तिरिक्खजोणिय णपुंसगाणं पुढवीकाइय जाव वणस्सइकाइय एगिंदियतिरिक्खजोणिय णपुंसगाणं बेइंदिय तेइंदिय चउरिदिय पंचेंदियतिरिक्खजोणियणपुंसगाणं जलयराणं थलयराणं खहयराण य कयरे कयरेहिंतो जाव विसेसाहिया वा?
गोयमा! सव्वत्थोवा खहयरतिरिक्खजोणियणपुंसगा थलयरतिरिक्खजोणियणपुंसगा संखेजगुणा जलयरतिरिक्खजोणिय णपुंसगा संखेजगुणा चउरिदिय तिरिक्खजोणियणपुंसगा विसेसाहिया तेइंदिय तिरिक्खजोणिय णपुंसगा विसेसाहिया बेइंदिय तिरिक्खजोणिय णपुंसगा विसेसाहिया तेउक्काइय एगिंदिय तिरिक्खजोणिय णपुंसगा असंखेजगुणा पुढविक्काइय एगिदिय तिरिक्खजोणिया णपुंसगा विसेसाहिया एवं आउवाऊवणस्सइकाइय एगिदिय तिरिक्खजोणिय णपुंसगा अणंतगुणा।
भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन्! इन तिर्यंचयोनिक नपुंसकों में एकेन्द्रिय तिर्यंच नपुंसकों मेंपृथ्वीकायिक यावत् वनस्पतिकायिक एकेन्द्रिय तिर्यंच नपुंसकों में, बेइन्द्रिय, तेइन्द्रिय, चउरिन्द्रिय, पंचेन्द्रिय तिर्यंच योनिक नपुंसकों में जलचरों में, स्थलचरों में, खेचरों में, कौन किससे अल्प, बहुत, तुल्य या विशेषाधिक हैं?
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