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________________ जीवाजीवाभिगम सूत्र ६५० पंचिंदिय तिरिक्खजोणिय णपुंसगाणं णं भंते!०? गोयमा! जहण्णेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं पुवकोडिपुहुत्तं। एवं जलयर तिरिक्ख चउप्पय थलयर उरगपरिसप्प भुयपरिसप्प खहयराण वि। मणुस्स णपुंसगस्स णं भंते!०? गोयमा! खेत्तं पडुच्च जहण्णेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं पुब्बकोडिपुहुत्तं। धम्मचरणं पडुच्च जहण्णेणं एक्कं समयं उक्कोसेणं देसूणा पुव्वकोडी। एवं कम्मभूमग भरहेरवय पुव्वविदेह अवरविदेहेसु वि भाणियव्वं। अकम्मभूमग मणुस्स णपुंसए णं भंते!०? गोयमा! जम्मणं पडुच्च जहण्णेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं मुहुत्त पुहुत्तं। साहरणं पडुच्च जहण्णेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं देसूणा पुव्वकोडी, एवं सव्वेसिं जाव अंतरदीवगाणं॥ भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन् ! नपुंसक, नपुंसक रूप में निरन्तर कितने काल तक रह सकता है ? उत्तर - हे गौतम! नपुंसक, नपुंसक रूप में निरन्तर जघन्य एक समय और उत्कृष्ट वनस्पतिकाल तक रह सकता है। प्रश्न - हे भगवन्! नैरयिक नपुंसक, नैरयिक नपुंसक रूप में निरन्तर कितने काल तक रह सकता है ? उत्तर - हे गौतम! नैरयिक नपुंसक, नैरयिक नपुंसक रूप मे निरन्तर जघन्य दस हजार वर्ष तक और उत्कृष्ट से तेतीस सागरोपम तक रह सकता है। इसी प्रकार सभी नरक पृथ्वियों की स्थिति कह देनी चाहिये। प्रश्न - हे भगवन् ! तिर्यंचयोनिक नपुंसक, तिर्यंच योनिक नपुंसक रूप में निरन्तर कितने काल तक रह सकता है? उत्तर - हे गौतम! तिर्यंच योनिक नपुंसक, तिर्यंच योनिक नपुंसक रूप में निरन्तर जघन्य अंतर्मुहूर्त और उत्कृष्ट वनस्पतिकाल तक रह सकता है। इसी प्रकार एकेन्द्रिय नपुंसक और वनस्पतिकायिक नपुंसक के विषय में समझना चाहिये। शेष पृथ्वीकाय आदि नपुंसक की कायस्थिति जघन्य अंतर्मुहूर्त और उत्कृष्ट असंख्यात काल की है जिसमें असंख्यात उत्सर्पिणियां अवसर्पिणियां बीत जाती है क्षेत्र की अपेक्षा असंख्यात लोक। बेइन्द्रिय, तेइन्द्रिय, चउरिन्द्रिय नपुंसक की कायस्थिति जघन्य अंतर्मुहूर्त और उत्कृष्ट संख्यात काल है। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004194
Book TitleJivajivabhigama Sutra Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2008
Total Pages370
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_jivajivabhigam
File Size8 MB
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