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________________ द्वितीय प्रतिपत्ति - पुरुषों का अल्पबहुत्व १५१ आनत देवों के समान ही प्राणत, आरण, अच्युत कल्प के देव पुरुषों और ग्रैवेयक देव पुरुषों का अंतर जघन्य वर्ष पृथक्त्व और उत्कृष्ट वनस्पतिकाल का होता है। अनुत्तरौपपातिक कल्पातीत देव पुरुषों का अंतर जघन्य वर्ष पृथक्त्व और उत्कृष्ट कुछ अधिक संख्यात सागरोपम का है। वैमानिक देव पुरुषों में उत्पत्ति की अपेक्षा संख्यात सागरोपम और मनुष्य भवों में उत्पत्ति की अपेक्षा कुछ अधिकता कही गई है। __ अनुत्तरौपपातिक देव पुरुषों का यह अन्तर विजय, वैजयंत, जयंत और अपराजित विमानों की अपेक्षा ही समझना चाहिये क्योंकि सर्वार्थ सिद्ध विमान में तो एक बार ही उत्पत्ति होती है अतः वहाँ अन्तर नहीं होता। पुरुषों का अल्पबहुत्व अप्पा बहयाणि जहेवित्थीणं जाव एएसि णं भंते! देवपुरिसाणं भवणवासीणं वाणमंतराणं जोइसियाणं वेमाणियाण य कयरे कयरेहिंतो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा? . गोयमा! सव्वत्थोवा वेमाणिय देव पुरिसा, भवणवइदेवपुरिसा असंखेजगुणा वाणमंतरदेवपुरिसा असंखेजगुणा, जोइसियदेवपुरिसा संखेजगुणा। एएसिणं भंते! तिरिक्खजोणिय पुरिसाणं-जलयराणं थलयराणं खहयराणं मणुस्स पुरिसाणं-कम्मभूमगाणं अकम्मभूमगाणं अंतरदीवगाणं, देवपुरिसाणं-भवणवासीणं वाणमंतराणं जोइसियाणं वेमाणियाणं सोहम्माणं जाव सव्वट्ठसिद्धगाण य कयरे कयरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा? गोयमा! सव्वत्थोवा अंतरदीवगमणुस्स पुरिसा देवकुरूत्तरकुरु अकम्मभूमगमणुस्स पुरिसा दो वि संखेज्जगुणा हरिवास रम्मगवास अकम्मभूमग मणुस्सपुरिसा दो वि संखेजगुणा हेमवयहेरण्णवयवास अकम्मभूमग मणुस्स पुरिसा दो वि संखेजगुणा भरहेरवयवास कम्मभूमग मणुस्स पुरिसा दोवि संखेजगुणा पुव्वविदेह अवरविदेह कम्मभूमग मणुस्स पुरिसा दो वि संखेजगुणा अणुत्तरोववाइय देवपुरिसा असंखेजगुणा, उवरिम गेविज देवपुरिसा संखेजगुणा मज्झिम गेविज देवपुरिसा संखेजगुणा हेट्ठिम गेविज देव पुरिसा संखेजगुणा अच्चुयकप्पे देवपुरिसा संखेजगुणा जाव आणयकप्पे देवपुरिसा संखेजगुणा, सहस्सारे कप्पे देवपुरिसा असंखेजगुणा, Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004194
Book TitleJivajivabhigama Sutra Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2008
Total Pages370
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_jivajivabhigam
File Size8 MB
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