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________________ १२२ जीवाजीवाभिगम सूत्र भवणवासि देवित्थीणं भंते! केवइयं कालं ठिई पण्णत्ता? गोयमा! जहण्णेणं दसवास सहस्साई उक्कोसेणं अद्धपंचमाइं पलिओवमाई। एवं असुरकुमार भवणवासि देवित्थियाए, णागकुमार भवणवासि देवित्थियाए वि जहण्णेणं दसवाससहस्साई उक्कोसेणं देसूणाई पलिओवमाइं, एवं सेसाण वि जाव थणियकुमाराणं। वाणमंतरीणं जहण्णेणं दसवाससहस्साई उक्कोसेणं अद्धपलिओवमं॥ भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन्! भवनवासी देव स्त्रियों की स्थिति कितने काल की कही गई है? उत्तर - हे गौतम! भवनवासी देवस्त्रियों की स्थिति जघन्य दस हजार वर्ष और उत्कृष्ट साढे चार पल्योपम की कही गई है। इसी प्रकार असुरकुमार भवनवासी देवस्त्रियों की, नागकुमार भवनवासी देवस्त्रियों की जघन्य दस हजार वर्ष और उत्कृष्ट देशोन पल्योपम की तथा शेष देवस्त्रियाँ यावत् स्तनितकुमार देवस्त्रियों की स्थिति समझनी चाहिये। वाणव्यंतर देव स्त्रियों की जघन्य स्थिति दस हजार वर्ष की और उत्कृष्ट स्थिति आधा पल्योपम की है। जोइसिय देवित्थीणं भंते! केवइयं कालं ठिइं पण्णत्ता? . . गोयमा! जहण्णेणं पलिओवमं अट्ठमं भागं उक्कोसेणं अद्धपलिओवमं पण्णासाए वाससहस्सेहिं अब्भहियं, चंदविमाणजोइसिय देवित्थियाए जहण्णेणं चउभागपलिओवमं उक्कोसेणं तं चेव, सूरविमाणजोइसिय देवित्थियाए जहण्णेणं चउभागपलिओवमं उक्कोसेणं अद्धपलिओवमं पंचहिं वाससएहिमब्भहियं, गहविमाण जोइसिय देवीत्थीणं जहण्णेणं चउभागपलिओवमं उक्कोसेणं अद्धपलिओवमं णक्खत्तविमाण जोइसिय देवित्थीणं जहण्णेणं चउभागपलिओवमं उक्कोसेणं चउभाग पलिओवमं साइरेगं ताराविमाणजोइसिय देवित्थियाए जहण्णेणं अट्ठभागं पलिओवमं उक्कोसेणं साइरेगं अट्ठभागपलिओवमं। भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन् ! ज्योतिषी देव स्त्रियों की स्थिति कितने काल की कही गई है? उत्तर - हे गौतम! ज्योतिषी देवस्त्रियों की जघन्य स्थिति पल्योपम का आठवां भाग और उत्कृष्ट पचास हजार वर्ष अधिक आधा पल्योपम है। __चन्द्रविमान ज्योतिषी देव स्त्रियों की जघन्य स्थिति पल्योपम का चौथा भाग (पाव पल्योपम) और उत्कृष्ट स्थिति पचास हजार वर्ष अधिक आधा पल्योपम की है। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004194
Book TitleJivajivabhigama Sutra Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2008
Total Pages370
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_jivajivabhigam
File Size8 MB
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