________________
द्वितीय प्रतिपत्ति - स्त्रियों की स्थिति .
.. १२१
कम की और उत्कृष्ट तीन पल्योपम की है। संहरण की अपेक्षा जघन्य अंतर्मुहूर्त और उत्कृष्ट देशोन पूर्वकोटि की है। __ प्रश्न - हे भगवन्! अन्तरद्वीपों की अकर्मभूमिज मनुष्य स्त्रियों की स्थिति कितने काल की कही गई है?
उत्तर - हे गौतम! जन्म की अपेक्षा जघन्य देशोन पल्योपम के असंख्यातवें भाग, पल्योपम के असंख्यातवें भाग कम की और उत्कृष्ट पल्योपम के असंख्यातवें भाग की है। संहरण की अपेक्षा जघन्य अंतर्मुहूर्त की उत्कृष्ट देशोन पूर्वकोटि की स्थिति है।
विवेचन - जन्म और संहरण की अपेक्षा अकर्मभूमिज मनुष्य स्त्रियों की स्थिति का वर्णन प्रस्तुत सूत्र में किया गया है। सामान्य रूप से जन्म की अपेक्षा अकर्मभूमिज मनुष्य स्त्रियों की जघन्य स्थिति पल्योपम का असंख्यातवां भाग कम एक पल्योपम की और उत्कृष्ट स्थिति तीन पल्योपम की है। जघन्य स्थिति हैमवत् हैरण्यवत क्षेत्र की अपेक्षा से एवं उत्कृष्ट स्थिति देवकुरु उत्तरकुरु क्षेत्र की अपेक्षा से समझनी चाहिये। . संहरण का अर्थ है - कर्मभूमिज स्त्रियों को अकर्मभूमि में ले जाना। कर्मभूमि से उठा कर अकर्मभूमि में संहृत की गई स्त्री अकर्मभूमि की कही जाती है। अत: संहरण की अपेक्षा अकर्मभूमिज मनुष्य स्त्रियों की स्थिति जघन्य अंतर्मुहूर्त और उत्कृष्ट देशोन पूर्वकोटि की कही गई है।
हैमवत; हैरण्यवत, हरिवर्ष, रम्यक्वर्ष और देवकुरु-उत्तरकुरु की अकर्मभूमिज मनुष्य स्त्रियों की जन्म और संहरण की अपेक्षा जघन्य और उत्कृष्ट स्थिति अलग अलग भावार्थ में बतलायी गयी है। अंतरद्वीप की मनुष्य स्त्रियों की स्थिति जन्म की अपेक्षा जघन्य कुछ कम पल्योपम के असंख्यातवें भाग
और उत्कृष्ट पल्योपम के असंख्यातवें भाग प्रमाण की है। उत्कृष्ट पल्योपम के असंख्यातवें भाग प्रमाण स्थिति से जघन्य स्थिति पल्योपम का असंख्यातवें भाग कम है।
देव स्त्रियों की स्थिति देवित्थीणं भंते! केवइयं कालं ठिई पण्णत्ता? .. . गोयमा! जहण्णेणं दसवाससहस्साइं उक्कोसेणं पणपण्णं पलिओवमाइं। भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन्! देव स्त्रियों की स्थिति कितने काल की कही गई है ?
उत्तर - हे गौतम! देव स्त्रियों की स्थिति जघन्य दस हजार वर्ष की और उत्कृष्ट पचपन पल्योपम की कही गई है।
- विवेचन - प्रस्तुत सूत्र में देवियों की औधिक (सामान्य) स्थिति का कथन किया गया है। भवनपति और वाणव्यंतर देवियों की अपेक्षा जघन्य दस हजार वर्ष की स्थिति कही गई है तथा ईशान देवलोक की देवी की अपेक्षा उत्कृष्ट पचपन पल्योपम की स्थिति कही गई है।
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org