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________________ माता काल वर्ग २ अध्ययन ३-१० ........................... ........................... इनके नाम, माता, पिता, देवलोक में जन्म एवं उनकी स्थिति संलग्न तालिकानुसार है। ये दसों देवलोकों से च्यव कर महाविदेह क्षेत्र से मोक्ष जायेंगे - दस अध्ययनों पिता देवलोक में | देवलोक में के नाम उपपात | प्राप्त स्थिति १. पद्म पद्मावती सौधर्म । दो सागरोपम २. महापद्म महापद्मा सुकाल ईशान | दो सागर झाझेरी ३. भद्र भद्रा महाकाल सनत्कुमार सात सागरोपम ४. सुभद्र सुभद्रा . कृष्ण माहेन्द्र सात सागरोपम झाझेरी ५. पद्मभद्र, पद्मभद्रा सुकृष्ण ब्रह्मलोक | दस सागरोपम ६. पद्मसेन पद्मसेना महाकृष्ण लान्तक चौदह सागरोपम ७. पद्मगुल्म | पद्मगुल्मा वीरकृष्ण महाशुक्र सतरह सागरोपम ८. नलिनीगुल्म | | नलिनीगुल्मा रामकृष्ण सहस्रार उन्नीस सागरोपम ६. आनंद आनंदा । | पितृसेनकृष्ण | प्राणत बीस सागरोपम .१०. नंदन नंदना । महासेनकृष्ण | अच्युत ! बाईस सागरोपम ॥ तीन से दस अध्ययन समाप्त॥ ॥ कल्पावतंसिका नामक द्वितीय वर्ग समाप्त॥ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004191
Book TitleNirayavalika Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages174
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_nirayavalika, agam_kalpavatansika, agam_pushpika, agam_pushpachulika, & agam_vrushnidasha
File Size17 MB
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