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________________ वर्ग १ अध्ययन १ राजगृह नगर आदि का वर्णन mr राजगृह नगर आदि का वर्णन तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे णामं णयरे होत्था, रिद्धिस्थिमियसमद्धे०।.........गुणसिलए णामं चेइए........वण्णओ। असोगवरपायवे । पुढविसिलापट्टए वण्णओ॥१॥ कठिन शब्दार्थ - रिद्धिस्थिमियसमद्धे - ऋद्धि समृद्धि से संपन्न, वण्णओ- वर्णक-वर्णन जान लेना चाहिये, पुढविसिलापट्टए- पृथ्वीशिलापट्टक। ___ भावार्थ - उस काल उस समय में राजगृह नामक नगर था। वह धन्य धान्यादि से समृद्ध था। उसके उत्तर-पूर्व (ईशानकोण) में गुणशीलक नामक चैत्य था। उसका वर्णन (औपपातिक सूत्र के अनुसार) समझ लेना चाहिये। वहाँ उत्तम अशोक वृक्ष था। उसके नीचे एक पृथ्वीशिलापट्टक था। उसका वर्णन (औपपातिक सूत्र के अनुसार) समझ लेना चाहिये। विवेचन - तेणं कालेणं - उस काल अर्थात् चौथे आरे में, तेणं समएणं - उस समय में अर्थात् भगवान् महावीर स्वामी जब इस धरा पर विचरण कर रहे थे, राजगृह नामक नगर था जो धन धान्य वैभव आदि ऋद्धि समृद्धि से सम्पन्न था। रिद्धिस्थिमियसमद्धे०......से औपपातिक सूत्र का निम्न पाठ ग्रहण किया गया है - "रिद्धस्थिमिय समद्धा, पमुइय-जण-जाणवया, आइण्ण-जणमणूसा हलसयसहस्स-संकिट्ठ-विकिट्ठलट्ठ-पण्णत्त-सेउसीमा कुक्कुडसंडेयगामपउरा उच्छुजव-सालिकलिया गोमहिस-गवेलगप्पभूया आयारवंतचेइय-जुवइ-विविहसण्णिविट्ठबहुला उक्कोडिय गाय-गंठिभेयग-भडतक्कर-खंडरक्खरहिया खेमा णिरुवद्दवा सुभिक्खा वीसत्य सुहावासा अणेग कोडीकुटुंबिया इण्ण णिव्वुयसुहा, णड-णमृगजल्ल-मल्लमुट्ठिय वेलंबग कहग पवग लासग आइक्खग-लंख-मंखतूणइल्ल-तुंबवीणिय अणेगतालायराणुचरिया, आरामुजाण अगड-तलाग-दीहियवप्पिण गुणोववेया गंदणवण सण्णिप्पगासा-उव्विद्ध-विउल-गंभीर खायफलिहा चक्कगय-मुसुंढि ओरोह-सयग्धि-जमलगवाड घणदुप्पवेसा धणकुडिलवंकपागार परिक्खित्ता कविसीसगवट्टरइयसंठिय विरायमाणा अट्टालय चरियदार गोपुर तोरणउण्णयसुविभत्त-रायमग्गा छेयायरिय रइयदढफलिहइंदकीला विवणिवणिछित्त Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004191
Book TitleNirayavalika Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages174
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_nirayavalika, agam_kalpavatansika, agam_pushpika, agam_pushpachulika, & agam_vrushnidasha
File Size17 MB
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