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वर्ग ३ अध्ययन ७-१०
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सात से दस अध्ययन एवं दत्ते ७, सिवे ८, बले ६, अणाढिए १०, सव्वे जहा पुण्णभद्दे देवे। सव्वेसिं दो सागरोवमाई ठिई। विमाणा देवसरिसणामा। पुव्वभवे दत्ते चंदणा णामाए, सिवे मिहिलाए, बले हत्थिणपुरे णयरे, अणाढिए काकंदीए। चेइयाइं जहा संगहणीए॥१४६॥३॥१०॥
॥ पुफियाओ समत्ताओ॥
॥ तइओ वग्गो समत्तो॥३॥ भावार्थ - जिस प्रकार पूर्णभद्र देव का वर्णन किया गया है उसी प्रकार सातवां अध्ययन दत्त का, आठवां अध्ययन शिव का, नौवां अध्ययन बल का और दसवां अध्ययन अनादृत का समझना चाहिए। सभी की स्थिति दो-दो सागरोपम की है। देवों के नाम के समान ही इनके विमानों के भी नाम हैं। पूर्वभव में दत्त चन्दना नगरी के, शिव मिथिला नगरी के, बल हस्तिनापुर के और अनादृत काकंदी नगरी के निवासी थे। चैत्यों के नाम संग्रहणी गाथा के अनुसार समझ लेने चाहिये।
विवेचन - जिस प्रकार पांचवें अध्ययन में पूर्णभद्र देव भगवान् महावीर के दर्शनार्थ आया और नाटक आदि दिखा कर वापिस चला गया उसी प्रकार दत्त, शिव, बल और अनादृत देव भी भगवान् के समवसरण में आये और नाटक दिखा कर चले गये। गौतम स्वामी ने क्रमशः सभी देवों की ऋद्धि एवं उनके पूर्व भवों के विषय में पृच्छा की। सभी पूर्व भव में अपने अपने नाम वाले गाथापति थे। दत्त चन्दना नगरी में, शिव मिथिला नगरी में, बल हस्तिनापुर नगर में और अनादृत काकंदी नगरी में जन्मे थे। सभी ने दीक्षा अंगीकार की और सभी अपने अपने नाम वाले विमानों में दो सागरोपम की स्थिति वाले देव हुए। देवलोक से च्यव कर सभी महाविदेह क्षेत्र में जन्म लेंगे और सिद्ध होंगे। ____इस प्रकार पुष्पिका का सातवां, आठवां, नौवां और दसवां अध्ययन समाप्त हुआ।
॥ पुष्पिका नामक तृतीय वर्ग समाप्त॥
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