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पुष्पिका सूत्र ........................................................... य कुमारियाहि य डिम्भएहि य डिम्भियाहि य अप्पेगइएहिं उत्ताणसेज्जएहि य अप्पेगइएहिं थणियाएहि य अप्पेगइएहिं पीहगपाएहिं अप्पेगइएहिं परंगणएहिं अप्पेगइएहिं परक्कममाणेहिं अप्पेगइएहिं पक्खोलणएहिं अप्पेगइएहिं थणं मग्गमाणेहिं अप्पेगइएहिं खीरं मग्गमाणेहिं अप्पेगइएहिं खेल्लणयं मग्गमाणेहिं अप्पेगइएहिं खज्जगं मग्गमाणेहिं अप्पेगइएहिं कूरं मग्गमाणेहिं पाणियं मग्गमाणेहिं हसमाणेहिं रूसमाणे हिं अक्कोसमाणेहिं अक्कुस्समाणे हिं हणमाणे हिं विप्पलायमाणेहिं अणुगम्ममाणेहिं रोवमाणेहिं कंदमाणेहिं विलवमाणेहिं कूवमाणेहिं उक्कूवमाणेहिं णिद्दायमाणेहिं पलंबमाणेहिं दहमाणेहिं दंसमाणेहिं वममाणेहिं छेरमाणेहिं मुत्तमाणेहिं मुत्तपुरीसवमियसुलित्तोवलित्ता मइलवसणपुच्चडा जाव असुइबीभच्छा परमदुग्गंधा णो संचाएइ रटुकूडेणं सद्धिं विउलाई भोगभोगाई भुंजमाणी विहरित्तए॥ १३२॥
कठिन शब्दार्थ - संवच्छरे - संवत्सर (वर्ष) में, जुयलगं - युगल को, उत्ताणसेज्जएहि - उत्तानशयकैः-ऊर्ध्वमुख (उत्तान) सोता रहेगा, थणियाएहि - स्तनितैः-चित्कार शब्दों से, पीहगपाएहिं - स्पृहकपादैः-चलने की इच्छा करेगा, परंगणएहिं - दूसरों के आंगन में चला जायगा अथवा अच्छी तरह चलेगा, परक्कममाणेहिं - पराक्रममाणैः-उत्साह करेगा, पक्खोलणएहिं - प्रस्खलनकैः-गिरेगा, मग्गमाणेहि - मृग्यमाणैः-ढूंढेगा, खेल्लणयं - खेलनकं-खिलौना-खेलने का साधन, खज्जगं - खाद्यकं-खाजा आदि खाद्य वस्तु, कूरं - कूर (भक्त-ओदन-चावल) हसमाणएहिहसद्भिः-हंसता रहेगा, रूसमाणेहिं - रुष्यदिभः-रुष्ट होता रहेगा, अक्कोसमाणेहिं - क्रोध करता रहेगा, अक्कुस्समाणेहिं - आक्रुश्यद्भिः-अपनी वस्तु के लिए लड़ता रहेगा, हणमाणेहिं - मारता रहेगा, विप्पलायमाणेहिं - विप्रलपद्भिः-मार खाता रहेगा, अणुगम्ममाणेहिं - अनुगम्यमानैः, मुत्तपुरीसवमियसुलित्तोवलित्ता - मूत्र पुरीषवान्त सुलिप्तोपलिप्ताः-मल, मूत्र और वमन से भरी हुई, मइलवसणपुच्चडा - मल युक्त वस्त्रैः निश्शोभा-मैले कपड़ों से कांतिहीन। ____ भावार्थ - तत्पश्चात् सोमा ब्राह्मणी राष्ट्रकूट के साथ विपुल भोगों को भोगती हुई प्रत्येक वर्ष में एक-एक संतान युगल को जन्म देगी और सोलह वर्षों में बत्तीस बच्चों की माँ हो जायेगी। तब वह सोमा ब्राह्मणी उन बहुत से दारक, दारिकाओं, कुमार, कुमारिकाओं और बच्चे, बच्चियों में से किसी
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