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क्रं. विषय पृष्ठ क्रं. विषय
पृष्ठ ४०. कोणिक का जनता द्वारा स्वागत ११८ | ६१. आजीवक........उपपात ४१. भगवान् की पर्युपासना १२१ | ६२. अत्तुक्कोसिय.......उपपात ४२. सुभद्रा महारानी का प्रस्थान
| ६३. निह्नवों का उपपात ४३. भगवान् महावीर की धर्म-देशना । १२४ | ६४. प्रतिविरत अप्रतिविरत अल्पआरंभी ४४. सभा विसर्जन
का उपपात ४५. कोणिक राजा और रानियों का गमन. १३४ | ६५. अनारंभी का उपपात ४६. औपपातिक पृच्छा
१३६ / ६६. सर्वकाम विरत का उपपात. . ४७. कर्म बन्धन
६७. केवलि समुद्घात के पुद्गल ४८. असंयत यावत् एकान्त सुप्त का उपपात १४० ६८. केवलि समुद्घात का कारण ४९. बन्दी आदि का उपपात
६९. आवर्जीकरण का स्वरूप ५०. भद्र प्रकृति वाले आदि का उपपात | ७०. समुद्घात के बाद की योग प्रवृत्ति । १८६ ५१. गतपतिका आदि का उपपात
७१. योग निरोध और सिद्धि, ५२. द्वि-द्रव्यभोजी आदि का उपपात ७२. वहां स्थित सिद्ध का स्वरूप १९१ ५३. वानप्रस्थ तापसों का उपपात
७३. सिद्ध्यमान जीव के संहननादि ५४. प्रव्रजित श्रमण कान्दर्पिक
७४. सिद्धों का निवासस्थान आदि का उपपात
| ७५. सिद्ध स्तवना ५५. परिव्राजकों का उपपात
७६. परिशेष
२०९ ५६. अम्बड़ परिव्राजक के ७०० शिष्य ५७. अम्बड़ परिव्राजक ५८. अम्बड़ के भविष्य के भव ५९. प्रत्यनीक का यावत् उपपात ६०. संज्ञी पंचेन्द्रिय तिर्यंचों का उपपात १७१
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