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उववाइय सुत्त
अभयदाता - किसी को भय नहीं देने वाले और सभी जीवों के भय को दूर करने वाली अहिंसा-अभया के धारक, प्रसारक। निर्भयता प्रदायक। ... चक्षुदाता - श्रुतज्ञान रूपी चक्षु प्रदान करके हेय ज्ञेय और उपादेय को जानने की दृष्टि खोलने वाले। जिस प्रकार किसी धनिक को भयानक अटवी में डाकुओं ने लूटकर आंखों पर पट्टी बांधकर धकेल दिया हो और वह अन्धे की तरह इधर उधर भटक रहा हो, उस समय कोई उपकारी पुरुष उसके
आंखों की पट्टी खोलकर रास्ते पर लगावे और इच्छित स्थान पर पहुंचा दे, तो वह उपकारी माना जाता है, उसी प्रकार संसार रूपी भयानक अटवी में भटकते हुए जीवों को ज्ञानरूपी चक्षु प्रदान कर मोक्षरूपी परम सुखमय स्थान को प्राप्त कराने वाले।
मार्गदाता - मोक्षरूपी महानगर को प्राप्त करने के ज्ञानादि मार्ग को बताने वाले।
शरणदाता - शरण के देने वाले अर्थात् अनेक प्रकार के रोग, शोक, जन्म, मरण और उपद्रव रूपी दुःख से भरे हुए संसार से भव्य प्राणियों को निरुपद्रव एकान्त शाश्वत सुख के स्थान को प्राप्त कराने वाले।
जीवनदाता - जन्ममरण के दुःख से दूर कर शाश्वत अखण्ड जीवन प्रदान करने वाले। .. बोधिदाता - बोधि अर्थात् सम्यक्त्व रत्न के दाता। धर्मदाता - श्रुत चारित्र रूपी धर्म के दाता। धर्मदेशक - श्रुत और चारित्र रूपी धर्म का उपदेश देने वाले। धर्म नायक (नेता)- धर्म रूप संघ एवं तीर्थ के नायक।।
धर्म सारथि - धर्मरूपी रथ के चालक। धर्मरूपी रथ में बैठकर मोक्षनगर की ओर जाने वाले भव्यात्माओं को और धर्म रथ को रक्षापूर्वक आगे बढ़ाने वाले-कुशल सारथि।
धर्मवर चातुरंत चक्रवर्ती - जिस प्रकार तीन ओर समुद्र और एक ओर हिमाचल पर्वत पर्यन्त पृथ्वी का स्वामी 'चातुरंत चक्रवर्ती' कहलाता है, उसी प्रकार लोक में भगवान् धर्म के चातुरन्त चक्रवर्ती-एक छत्र स्वामी हैं। अन्य प्रवर्तकों से अत्यधिक श्रेष्ठ धर्मशासक। अथवा-चतुर्गतिरूप संसार का अंत करने वाले धर्मचक्रवर्ती।
द्वीप-त्राण-सरण-गतिप्रतिष्ठारूप - संसार रूप समुद्र में डूबते हुए जीवों के लिए द्वीप के समान आधारभूत, रक्षक, शरणप्रद, उत्तमगति और प्रतिष्ठा रूप।
अप्रतिहत-वर-ज्ञान-दर्शनधर - दिवाल पर्वत आदि किसी भी प्रकार की ओट से नहीं रुकने वाले, विशुद्ध, अविसंवादी, क्षायक एवं प्रधान केवलज्ञान और केवलदर्शन के धारक।
व्यावृत्त छद्म - जिनकी छद्मस्थता-ज्ञान का आवरण नष्ट हो गया, जो सर्वज्ञ सर्वदर्शी हैं। जिन - राग द्वेष रूपी शत्रुओं को जीतकर विजयी हुए। जापक - दूसरों को जिन बनाने वाले।
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