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उववाइय सुत्त
५. चामर। एक-शाटिक उत्तरासंग किया। जल स्पर्श से मैल से रहित-अति स्वच्छ बने हुए हस्तसम्पुटअञ्जली से कमल की कली के समान आकार वाले हाथों से युक्त (अर्थात् हाथ जोड़ कर) जिधर तीर्थङ्कर भगवान् विराजमान थे उधर मुख करके, सात-आठ कदम सामने गये। बायें पैर को संकुचित किया। दायें पैर को धरतीतल पर, संकोचकर रखा और शिर को तीन बार धरती से लगाया। फिर थोड़ा-सा ऊपर उठकर कड़े और तोड़े से स्थिर बनी हुई भुजाओं को उठा कर, हाथ जोड़े और अंजली को सिर पर लगा कर इस प्रकार बोले - ___ णमोऽत्थुणं अरिहंताणं भगवंताणं, आइगराणं तित्थयराणं सयंसंबुद्धाणं, पुरिसुत्तमाणं पुरिससीहाणं पुरिसवरपुंडरीयाणं पुरिसवरगंधहत्थीणं, लोगुत्तमाणं लोगणाहाणं लोगहियाणं लोगपईवाणं लोगपज्जोय-गराणं, अभयदयाणं चक्खुदयाणं मग्गदयाणं सरण-दयाणं जीवदयाणं बोहिदयाणं, धम्मदयाणं धम्म- देसंयाणं धम्मणायगाणं धम्मसारहीणं धम्मवरचाउरंत-चक्क-वट्टीणं, दीवो ताणं सरणं गई पइट्ठा, अप्पडिहय-वर-णाण-दसण-धराणं वियट्ट-छउमाणं, जिणाणं जावयाणं तिण्णाणं तारयाणं, बुद्धाणं बोहयाणं मुत्ताणं मोयगाणं, सव्वण्णूणं सव्वदरिसीणं, सिव-मयल-मरुय-मणंत-मक्खय-मव्वावाह-मपुणरावित्ति-सिद्धिगइ-णामधेयं ठाणं संपत्ताणं। णमोऽत्थुणं समणस्स भगवओ महावीरस्स आइगरस्स तित्थयरस्स.... जाव संपाविउ कामस्स मम धम्मायरियस्स धम्मोवए-सगस्स। ___वंदामि णं भगवंतं तत्थगयं इह गए, पासउ मे भगवं तत्थगए इहगयं, ति कट्ट वंदइ णमंसइ।
कठिन शब्दार्थ - अरिहंत - कर्म रूपी अरि-शत्रुओं का हनन-विनाश करने वालों को अरिहन्त' कहते हैं। जैसा कि कहा है -
अट्ठविहं पि य कम्मं, अरिभूयं होइ सयलजीवाणं। .. तं कम्ममरिं हन्ता, अरिहंता तेण वुच्चंति॥
अर्थ - आठ प्रकार के कर्म सभी जीवों के लिए शत्रु रूप हैं। उन कर्मशत्रुओं का जो विनाश करते है। उनको 'अरिहन्त' कहते हैं।
भगवान् - परम ऐश्वर्यशाली, परम पूज्य। जैसा कि कहाँ है- 'भगं भाग्यं विदयते यस्य स भगवान्।'
ऐश्वर्य समग्रस्य रूपस्य यशसः श्रियः। धर्मस्याथ प्रयलस्य, षण्णां भग इति इङ्गना॥
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