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________________ १०६ उववाइय सुत्त भावार्थ - सुभद्रा आदि देवियों के, प्रत्येक के लिये गमन करने को तैयार, जुते हुए यानों को बाहरी सभाभवन में उपस्थित करो। चंपं णयरिं सब्भिंतर-बाहिरियं आसित्त-संमजिओवलित्तं सिंघाडग तिग चउक्कचच्चर-चउम्मुह महापहेसु आसित्तसित्तसुइसम्मट्ठ-रत्थं-तरावणवीहिअं मंचाइमंचकलियं। भावार्थ - चम्पा नगरी को बाहर और भीतर से जल से सिञ्चित, कूडेकर्कट से रहित बनवाकर और गोबर आदि से लिपवाकर संघाटग, त्रिक, चौक, चत्वर, चतुर्मुख और महापथों को छिटकाव, जलसिञ्चन और कूडे-कर्कट से रहित स्वच्छता से गलियों के मध्यभागों को-रथ्यान्तर और बाजार के मार्गों- आपणवीथि को मनोरम बनाओ। प्रेक्षकों के बैठने के लिये मञ्चातिमञ्च-सीढ़ियों के आकार के प्रेक्षकासनों की रचना करो। __णाणाविहरागउच्छियज्झयपडागाइपडागमंडियं लाउल्लोइयमहियं गोसीससरसरत्तचंदण जाव गंध-वट्टिभूयं करेह-कारवेह। भावार्थ - विविध रंगों के, ऊँचे किये हुए, सिंह, चक्र आदि चिह्नों से युक्त ध्वज, पताकाएँ और अतिपताकाएँ (ऐसी झण्डियाँ, जिनके आसपास और भी छोटी छोटी झण्डियाँ लगी हों) लगाओ। आँगन आदि लिपवाओ-पुतवाओ और गोशीर्ष चंदन, लालचंदन आदि सुगन्धित द्रव्यों की महक से मार्ग भर दो। ऐसा करो और करवाओ। ___ करित्ता कारवेत्ता एयमाणत्तियं पच्चप्पिणाहि। णिज्जाइस्सामि समणं भगवं महावीरं अभिवंदए। भावार्थ - इस आज्ञा का पालन करके, मुझे इसकी सूचना दो। मैं श्रमण भगवान् महावीर स्वामी की अभिवन्दना के लिये जाऊँगा। अभिवन्दना की तैयारी ३०- तएणं से बलवाउए कोणिएणं रण्णा एवं वुत्ते समाणे हट्टतुट्ठ जाव हियए, करयल-परिग्गहियं सिरसावत्तं, मत्थए अंजलिं कट्ट, एवं वयासी-'सामित्ति'। भावार्थ - तब कोणिक राजा के इस प्रकार कहने पर, उस बलवाउय-सेनानायक का चित्त प्रसन्न हुआ.....यावत् हृदय विकसित हुआ। उसने हाथ जोड़कर, शिर के चारों ओर घुमाये, अञ्जलि को शिर पर लगाई और फिर वह यों बोला-'जी स्वामिन् !' आणाइ विणएणं वयणं पडिसुणेइ। पडिसुणित्ता हत्थिवाउयं आमंतेइ। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004190
Book TitleUvavaiya Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2005
Total Pages222
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_aupapatik
File Size23 MB
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