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अध्ययन ७
- १९९ 0000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000 वाले भी मुक्ति को तो प्राप्त नहीं करते हैं किन्तु जल के जीवों का तथा जल के आश्रित दूसरे जीवों का घात करके पाप अवश्य उपार्जन करते हैं और पापी प्राणियों की दुर्गति अवश्य होती है । - पावाई कम्माइं पकुव्वतो हि, सिओदगं तु जइ तं हरिग्जा। सिझिंसु एगे दगसत्तघाती, मुसं वयंते जलसिद्धिमाहु ।। १७ ॥
कठिन शब्दार्थ - पावाई - पाप, कम्माई - कर्म, पकुव्वतो- करने वाले के, हरिज्जा - दूर कर दे, सिझिंसु - सिद्ध हो जाते, दगसत्तघाती - पानी की जीवों का घात करने वाले, मुसं - झूठ, वयंते - बोलते हैं, जलसिद्धिं - जल से मुक्ति आहु - बतलाते हैं।
भावार्थ - पापी पुरुष के पाप को यदि जल हरण करे तो जलजन्तुओं को मारने वाले मछुवे भी मुक्ति को प्राप्त कर लें अतः जलस्नान से मुक्ति बताने वाले मिथ्यावादी हैं ।।
हुएण जे सिद्धिमुदाहरंति, सायं च पायं च अगणिं फुसंता। एवं सिया सिद्धि हवेज्ज तम्हा, अगणिं फुसंताण कुकम्मिणंपि ॥ १८ ॥
कठिन शब्दार्थ - हुएण - होम करने से, अगणिं - अग्नि के, फुसंता - स्पर्श करते हुए, कुकम्मिपि - कुकर्मियों को भी।
भावार्थ - प्रात:काल और सायंकाल अग्नि का स्पर्श करते हुए जो लोग अग्नि में होम करने से मोक्ष की प्राप्ति बतलाते हैं वे भी मिथ्यावादी हैं । यदि इस तरह मोक्ष मिले तो अग्निस्पर्श करने वाले कुकर्मियों को भी मोक्ष मिल जाना चाहिये ।
विवेचन - यज्ञवादियों की मान्यता है कि अग्नि में हवन करने से स्वर्ग और मोक्ष की प्राप्ति होती है । जैसा कि कहा है - 'अग्निहोत्रं जुहुयात् स्वर्गकाम' ।अर्थ - "स्वर्ग और मोक्ष की कामना करने वाले पुरुष को अग्निहोत्र करना चाहिए ।" यह कथन अयुक्त है । यदि अग्नि में होम करने से मुक्ति मिलती होती तो अग्नि में ईन्धन डालकर कोयला बनाने वाले तथा कुम्हार और लोहार आदि अग्नि का कार्य करने वालों को मुक्ति मिल जानी चाहिए । यदि यह कहा जाय कि, मन्त्र से पवित्र अग्नि होम करने से मुक्ति मिलती है तो यह कहना भी युक्ति संगत नहीं है । क्योंकि जैसे अग्नि साधारण पुरुषों के द्वारा (मन्त्रित किये बिना) डाली हुई चीज को भस्म करती है उसी तरह अग्निहोत्री ब्राह्मण के द्वारा मन्त्रित कर डाली हुई चीज को भी भस्म कर डालती है इसीलिये साधारण पुरुष की अपेक्षा अग्निहोत्री के अग्नि कार्य में कोई विशेषता नहीं देखी जाती है तथा जिन लोगों का कथन है कि अग्नि देवताओं का मुख है यह कहना भी युक्ति रहित होने के कारण कथन मात्र है क्योंकि अग्निहोत्री के द्वारा डाली हुई चीज को अग्नि जिस प्रकार भस्म करती है उसी तरह अग्नि कूड़ा कचरा और यहां
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