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अध्ययन ६
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करके प्रकाश करती है इसी तरह भगवान् अज्ञान को दूर कर पदार्थों के यथार्थ स्वरूप को प्रकाशित करते थे।
अणुत्तरं धम्ममिणं जिणाणं, णेया मुणी कासव आसुपण्णे ।
इंदे व देवाण महाणुभावे, सहस्सणेया दिवि णं विसिटे ॥७॥ __कठिन शब्दार्थ - धम्म - धर्म के, इणं - इस, जिणाणं - जिनेश्वरों के, णेया - नेता, मुणीमुनि, कासव - काश्यपगोत्री, आसुपण्णे - आशुप्रज्ञ - शीघ्र बुद्धि वाले, इंदेव - इन्द्र के समान, देवाणदेवों का, सहस्स - सहस्र-हजार, दिवि - स्वर्गलोक में, विसिटे - विशिष्ट, महाणुभावे - महानुभाव-प्रभावशाली ।
भावार्थ - शीघ्र बुद्धि वाले काश्यपगोत्री मुनि श्री वर्धमान स्वामी ऋषभादि जिनवरों के उत्तम धर्म के नेता हैं । जैसे स्वर्गलोक में सब देवताओं में इन्द्र श्रेष्ठ हैं इसी तरह भगवान् सब जगत् में सब से श्रेष्ठ हैं।
विवेचन - श्रमण भगवान् महावीर स्वामी का गोत्र काश्यप था। इस अवसर्पिणी काल में धर्म की प्रवृत्ति भगवान् ऋषभदेव से हुई थी। वह धर्म वहाँ से चलता हुआ भगवान् महावीर तक पहुँचा इसलिये भगवान् धर्म के नेता हैं। जैसे स्वर्ग लोक में इन्द्र हजारों देवताओं में महाप्रभावशाली है और सब का नेता है। इसी प्रकार भगवान् महावीर स्वामी भी महाप्रभावशाली और धर्म के नेता हैं। भगवान् रूप, बल और वर्ण आदि सब बातों में विशिष्ट अर्थात् सर्व प्रधान हैं।
से पण्णया अक्खय-सागरे वा, महोदही वा वि अणंतपारे । _अणाइले वा अकसाई मुक्के, सक्के व देवाहिवई जुइमं ।। ८ ॥
कठिन शब्दार्थ - पण्णया - प्रज्ञा से, अक्खय - अक्षय, सागरे - सागर-समुद्र, महोदही - महोदधि-स्वयंभूरमण समुद्र, अणंतपारे - अपार-पार रहित, अणाइले - निर्मल, अकसाई - अकषायीकषायों से रहित, मुक्के (भिक्खू) - मुक्त, सक्के - शक्र-इन्द्र, देवाहिवई - देवाधिपति, जुइमं - द्युतिमान् ।
... भावार्थ - भगवान् समुद्र के समान अक्षय प्रज्ञा वाले हैं । उनकी प्रज्ञा का स्वयम्भूरमण के समान पार नहीं है । जैसे स्वयम्भूरमण का जल निर्मल है इसी तरह भगवान् की प्रज्ञा निर्मल हैं। भगवान् कषायों से रहित तथा मुक्त हैं । भगवान् इन्द्र के समान देवताओं के अधिपति तथा बड़े तेजस्वी हैं ।
विवेचन - श्रमण भगवान् महावीर स्वामी प्रज्ञा अर्थात् बुद्धि यानी केवलज्ञान वाले हैं। केवलज्ञान की रुकावट कहीं पर भी नहीं होती है। वह केवलज्ञान काल से आदि सहित और अन्त रहित है। द्रव्य, क्षेत्र और भाव से अनन्त है। केवलज्ञान की सम्पूर्ण तुल्यता का दृष्टान्त नहीं मिलता है। इसलिये
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