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विषय विषय . पृष्ठ . विषय
पृष्ठ : संयम-असंयम ६०-६५/ उत्कल (उत्कट)
८९-९० आचार, आचार प्रकल्प व. . ६५-६६/ समितियाँ
८९-९०. आरोपणा के भेद ६५-६६ जीव के पांच भेद
९०-९३ वक्षस्कार पर्वत ६७-६९/ गति आगति
९०-९३ पांच महाद्रह ६७-६९/ पांच प्रकार के सर्व जीव
९०-९३ समय क्षेत्र ६७-६९/ योनि स्थिति ।
९०-९३ . अवगाहना ६७-६९ संवत्सर के भेद
९०-९३ सुप्त से जागृत होने के कारण ६९ जीव के निर्याण मार्ग
९४-९६ अपवाद सूत्र ६९-७० | पांच प्रकार का छेदन
९४-९६ आचार्य उपाध्याय के अतिशय ___७१-७२ आनन्तर्य पांच
९४-९६ गणापक्रमण के कारण . ७३-७४ अनन्तक पांच
९४-९६ ऋद्धिमान् के भेद
| ज्ञान के पांच भेद
९६-१०१ तृतीय उद्देशक ज्ञानावरणीय के ५ भेद
९६-१०१ . अस्तिकाय पांच
९६-१०१ पांच गतियाँ
७४-७८ | प्रत्याख्यान पांच
९६-१०१ इन्द्रियों के विषय
७८-८० | पंच प्रतिक्रमण
९६-१०१ मुंड पांच
| वाचना देने और सूत्र सीखने के बोल १०१-१०२ . पांच बादर और अचित्तवायु
| पांच वर्ण के देव विमान १०२-१०४ निर्ग्रन्थ पांच
| कर्म बंध
१०२-१०४ वस्त्र और रजोहरण
१०२-१०४ निश्रा स्थान, निधि,शौच ८४-८६/ कुमारवास में प्रव्रजित तीर्थंकर
१०२-१०४ छद्मस्थ और केवली का विषय
|सभाएं पांच
१०२-१०४ महानरकावास, महाविमान
| पांच तारों वाले नक्षत्र
१०२-१०४ पांच प्रकार के पुरुष ८६-८८ पाप कर्म संचित पुद्गल।
१०२-१०४ मत्स्य और भिक्षुक
८६-८८
छठा स्थान वनीपक पांच ८६-८८ गणी के गुण
१०५-१०६ अचेलक
८९-९०. साध्वी अवलम्बन के कारण १०५-१०६
• ७४-७८ स्वाध्याय पांच
७८-८०
८३-८४/ पांच महानदियाँ
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