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स्थान ५ उद्देशक १
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आवरण रहित, कृत्स्न यानी सब पदार्थों को विषय करने वाला, प्रतिपूर्ण यानी पूर्णिमा के चन्द्रमा के समान अखण्ड, प्रधान केवलज्ञान और केवलदर्शन उत्पन्न हुए और मिगसर कृष्णा ग्यारस को चित्रा नक्षत्र में मोक्ष पधारे । ___ नववें तीर्थङ्कर भगवान् श्री पुष्पदंत स्वामी अपरनाम श्री सुविधिनाथ स्वामी के पांच कल्याणक मूला नक्षत्र में हुए थे यथा - फाल्गुन कृष्णा नवमी को नववें देवलोक से मूला नक्षत्र में चवे थे, चव कर काकन्दी नगरी के सुग्रीव राजा की रामा महारानी के गर्भ में आये । इसी तरह से मिगसर कृष्णा छठ को मूला नक्षत्र में प्रव्रज्या ग्रहण की । कार्तिक शुक्ला तीज को मूला नक्षत्र में उन्हें केवलज्ञान उत्पन्न हुआ और भादवा सुदी नवमी को मूला नक्षत्र में मोक्ष पधारे । इसी प्रकार इस अभिलापक के अनुसार इन गाथाओं का अर्थ जानना चाहिए - ____ छठे तीर्थङ्कर श्री पद्मप्रभ स्वामी के पांच कल्याणक चित्रा नक्षत्र में हुए थे । नववें तीर्थङ्कर श्री पुष्पदंत स्वामी अपरनाम श्री सुविधिनाथ स्वामी के पांच कल्याणक मूला नक्षत्र में हुए थे। दसवें तीर्थङ्कर श्री शीतलनाथ स्वामी के पांच कल्याणक पूर्वाषाढा नक्षत्र में हुए थे । तेरहवें तीर्थङ्कर श्री विमलनाथ स्वामी के पांच कल्याणक उत्तर भाद्रपदा नक्षत्र में हुए थे ।। १॥ .. चौदहवें तीर्थकर श्री अनन्तनाथस्वामी के -पांच कल्याणक रेवती नक्षत्र में हुए थे। पन्द्रहवें! तीर्थकर श्री धर्मनाथस्वामी के पुष्य नक्षत्र में, सोलहवें तीर्थकर श्री शान्तिनाथस्वामी के भरणी नक्षत्र में, सतरहवें तीर्थङ्कर श्री कुन्थुनाथस्वामी के कृतिका नक्षत्र में और अठारहवें तीर्थङ्कर श्री अरनाथस्वामी के पांच कल्याणक रेवती नक्षत्र में हुए थे ।।२॥ ... बीसवें तीर्थकर श्री मुनिसुव्रत स्वामी के श्रवण नक्षत्र में, इक्कीसवें तीर्थङ्कर श्री नमिनाथ स्वामी के अश्विनी नक्षत्र में, बाईसवें तीर्थकर श्री अरिष्टनेमि स्वामी के चित्रा नक्षत्र में और तेईसवें तीर्थङ्कर श्री पार्श्वनाथ स्वामी के पांच कल्याणक विशाखा नक्षत्र में हुए थे । चौवीसवें तीर्थङ्कर श्री महावीर स्वामी के पांच बातें उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में हुई थी ।।३॥
श्रमण भगवान् महावीर स्वामी के पांच बातें उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में हुई थी यथा - उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में दसवें देवलोक से च्यवन हुआ था और चव कर देवानन्दा के गर्भ में आये । उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में देवानन्दा की कुक्षि से महारानी त्रिशला के गर्भ में संहरण हुआ । उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र में जन्म हुआ । उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र में मुण्डित होकर दीक्षा अङ्गीकार की और उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र में अनन्त, प्रधान केवलज्ञान केवलदर्शन उत्पन्न हुआ । श्रमण भगवान् महावीर स्वामी के ये पांच बातें उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र में हुई थी । महावीर स्वामी का निर्वाण कल्याणक कार्तिक कृष्णा अमावस्या को -स्वाति नक्षत्र में हुआ था। . .नोट - श्रमण भगवान् महावीर स्वामी के पांच बातों के लिये मूल पाठ में "पंच हत्युत्तरे, .
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