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श्री स्थानांग सूत्र 000000000000000000000000000000000000000000000000000 वरुणोववाए, गरुलोववाएं, वेलंधरोववाए, वेसमणोववाए । दस सागरोवम कोडाकोडीओ कालो उस्सप्पिणीए, दस सागरोवम कोडाकोडीओ कालो ओसप्पिणीए॥१३२॥
कठिन शब्दार्थ - दसाओ - दस दस अध्ययन वाले, कम्मविवागदसाओ - कर्मविपाक दशा, दो गिद्धिदसाओ - द्विगृद्धिदशा, दीहदसाओ - दीर्घदशा, संखेवियदसाओ - संक्षेपिक दशा, पज्जोसवणाकप्पो - पर्युषणा कल्प, आजाइयट्ठाणं - आजाति स्थान, खोमगपसिणाई - क्षोमक प्रश्न, अदागपसिणाई - आदर्श प्रश्न, खुड्डियाविमाणपविभत्ती - क्षुद्र विमान प्रविभत्ति ।
भावार्थ - छद्मस्थ जीव दस बातों को सब पर्यायों सहित न जान सकता है और न देख सकता है यथा - धर्मास्तिकाय, अधर्मास्तिकाय, आकाशास्तिकाय, शरीर रहित जीव, परमाणु पुद्गल, शब्द,गन्ध, वायु, यह पुरुष केवलज्ञानी होगा या नहीं ?, यह पुरुष सब दुःखों का अन्त करके सिद्ध बुद्ध यावत् मुक्त होगा या नहीं ? इन दस बातों को निरतिशय ज्ञानी छद्मस्थ सर्वभाव से न जान सकता है और न देख सकता है किन्तु केवलज्ञान केवलदर्शन के धारक अरिहन्त जिन केवली उपरोक्त दस ही बातों को . सर्वभाव से जानते हैं और देखते हैं ।
दस शास्त्र दस दस अध्ययन वाले कहे गये हैं । यथा - कर्मविपाकदशा अर्थात् विपाक सूत्र का. प्रथम श्रुतस्कन्ध, उपासकदशाङ्ग, अन्तगडदशाङ्ग सूत्र का प्रथम वर्ग, अनुत्तरौपपातिकदशा, आचारदशा अर्थात् दशाश्रुतस्कन्ध, प्रश्नव्याकरणदशा, बन्धदशा, द्विगृद्धिदशा, दीर्घदशा, संक्षेपिकदशा । ___ कर्मविपाक दशा अर्थात् विपाक सूत्र के प्रथम श्रुतस्कन्ध दुःख विपाक के दस अध्ययन कहे गये हैं यथा - मृगापुत्र, गोत्रास, अण्ड-अभग्नसेन, शकट, ब्राह्मण-बृहस्पतिदत्त, नन्दिसेन-नन्दिवर्द्धन शोरिकदत्त, उम्बरदत्त, सहसोद्दाह, आमलक - देवदत्त, कुमारलच्छी-अन्जूकुमारी। दुखविपाक सूत्र के गाथा में जो दस नाम गिनाये गये हैं किन्तु इन नामों में और वर्तमान में उपलब्ध नामों में कुछ को छोड़कर भिन्नता पाई जाती है। संभवतः ये भिन्न वाचना के नाम हो।
उपासकदशाङ्ग सूत्र के दस अध्ययन कहे गये हैं यथा - आनन्द, कामदेव, चुलनीपिता गाथापति, सुरादेव, चुल्लशतक, कुण्डकोलिक गाथापति, सकडालपुत्र, महाशतक नन्दिनीपिता शालेयिका पिता । अन्तगडदशाङ्ग सूत्र के प्रथम वर्ग के दस अध्ययन कहे गये हैं यथा - नमिराज, मातङ्ग, सोमिल, रामगुप्त, सुदर्शन, जमाली, भगाली, किंकर्मपल्लक, फालित और अम्बडपुत्र। ____ अनुत्तरौपपातिक दशा के तीसरे वर्ग के दस अध्ययन कहे गये हैं यथा -ऋषिदास, धन्ना, सुनक्षत्र, कार्तिक स्व स्थान, शालिभद्र, आनन्द, तेतली, दशार्णभद्र, अतिमुक्त । आचारदशा अर्थात् दशाश्रुतस्कन्ध सूत्र के दस अध्ययन कहे गये हैं यथा - बीस असमाधिस्थान, इक्कीस शबल दोष, तेतीस आशातना, आठ प्रकार की गणि सम्पदा, चित्तसमाधि के दस स्थान, श्रावक की ग्यारह पडिमा, साधु की बारह
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