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स्थान८
२३९ 000000000000000000000000000000000000000000000000000 जंबूमंदर उत्तरेणं रुयगवरे पव्वए अट्ठ कूडा पण्णत्ता तंजहा -
रयणे रयणुच्चए य, सव्वरयण रयणसंचए चेव ।
विजए य वेजयंते, जयंते अपराजिए ॥ ९ ॥ तत्थ णं अट्ठ दिसाकुमारि महत्तरियाओ महिड्डियाओ जाव पलिओवम ठिईयाओ परिवसंति तंजहा -
अलंबूसा मियकेसी, पोंडरिगिणी वारुणी ।
आसा य सव्वगा चेव, सिरी हिरी चेव उत्तरओ ॥ १० ॥ अट्ठ अहेलोगवत्थव्वाओ दिसाकुमारि महत्तरियाओ पण्णत्ताओ तंजहा -
भोगंकरा भोगवई, सुभोगा भोगमालिणी ।
सुवच्छा वच्छमित्ता य, वारिसेणा बलाहगा ॥ ११ ॥ अट्ठ उडलोगवत्थव्वाओ दिसाकुमारि महत्तरियाओ पण्णत्ताओ तंजहा
मेघकरा मेघवई, समेघा मेघमालिणी ।
तोयधारा विचित्ता य, पुष्फमाला अणिंदिया ॥ १२ ॥ अट्ठ कप्पा तिरियमिस्सोववण्णगा पण्णत्ता तंजहा - सोहम्मे जाव सहस्सारे । एएसणं अतुसु कप्पेसु अट्ठ इंदा पण्णत्ता तंजहा - सक्के जाव सहस्सारे । एएसिंणं अट्ठण्डं इंदाणं अट्ठ परिजाणिया विमाणा पण्णत्ता तंजहा - पालए, पुष्फए, सोमणसे, सिरिवच्छे, णंदावत्ते, कामगमे, पीइमणे, विमले॥९६॥
कठिन शब्दार्थ - अहेलोगवत्थव्वाओ - अधोलोक में रहने वाली, उडलोगवत्थव्वाओ - ऊर्ध्वलोक में रहने वाली, परिजाणिया - परियानक । - भावार्थ - इस जम्बूद्वीप में मेरु पर्वत के दक्षिण में महाहिमवान् वर्षधर पर्वत पर आठ कूट कहे गये हैं । यथा - सिद्ध, महाहिमवान्, हिमवान्, रोहित, हरि, हरिकान्त, हरिवर्ष और वैडूर्य ये आठ कूट हैं ॥१॥
- जम्बूद्वीप के मेरु पर्वत के उत्तर में रुक्मी वर्षधर पर्वत पर आठ कूट कहे गये हैं । यथा - सिद्ध, रुक्मी, रम्यक, नरकान्त, बुद्धि, रूप्य, हिरण्णवय और मणिकाञ्चन । रुक्मी पर्वत पर ये आठ कूट हैं ॥२॥ ____जम्बूद्वीप के मेरु पर्वत के पूर्व में रुचकवर पर्वत पर आठ कूट कहे गये हैं । यथा - रिष्ठ, तपनीय, काञ्चन, रजत, दिशा, स्वस्तिक, प्रलम्ब, अञ्जन और अञ्जनपुलाक । ये आठ कूट रुचक पर्वत के पूर्व में हैं ।। ३ ॥
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