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________________ स्थान ८ २३५ भावार्थ - जम्बू सुदर्शन वृक्ष आठ योजन ऊंचा है बीच में यानी शाखाओं के विस्तार की जगह आठ योजन चौड़ा है और सर्वाग्र यानी सब परिमाण आठ योजन से कुछ अधिक कहा गया है अर्थात् दो मव्यूति धरती में ऊंडा है और आठ योजन धरती के ऊपर है । इस प्रकार जम्बू सुदर्शन वृक्ष का सारा परिमाण आठ योजन दो गव्यूति (कोस) है । इसी प्रकार कूट शाल्मली वृक्ष का भी जानना चाहिए । तिमिस्र गुफा आठ योजन की ऊंची कही गई है । इसी प्रकार खण्डप्रपात गुफा आठ योजन ऊंची कही गई है । जम्बूद्वीप के मेरु पर्वत की पूर्व दिशा में सीता महानदी के दोनों तटों पर आठ वक्षस्कार पर्वत कहे गये हैं । यथा - चित्रकूट, पद्मकूट, नलिनकूट, एक शैल, त्रिकूट, वैश्रमण कूट, अञ्जन, मातञ्जन । जम्बूद्वीप के मेरु पर्वत की पश्चिम दिशा में सीतोदा महानदी के दोनों तटों पर आठ वक्षस्कार पर्वत. कहे गये हैं । यथा - अंकावती, पद्मावती, आशीविष, सुखावह, चन्द्रपर्वत, सूर्यपर्वत, नाग पर्वत, देव पर्वत । जम्बूद्वीप के मेरु पर्वत की पूर्व दिशा में सीता महानदी की उत्तर दिशा में चक्रवर्ती के आठ विजय कहे गये हैं । यथा - कच्छ, सुकच्छ, महाकच्छ, कच्छकावती, आवर्त्त, मंगलावत, पुष्कल, पुष्कलावती । जम्बूद्वीप के मेरु पर्वत की पूर्व दिशा में सीता महानदी की दक्षिण दिशा में चक्रवर्ती के आठ विजय कहे गये हैं । यथा - वत्स, सुवत्स, महावत्स, वच्छावती, रम्य, रम्यक, रमणीय, मङ्गलावती । जम्बूद्वीप के .. मेरु पर्वत की पश्चिम दिशा में सीतोदा महानदी की दक्षिण दिशा में चक्रवर्ती के आठ विजय कहे गये . हैं । यथा - पद्म, सुपद्म, महापद्म, पद्मावती, शंख, नलिन, कुमुद, सलिलावती । जम्बूद्वीप के मेरु पर्वत की पश्चिम दिशा में सीतोदा महानदी की उत्तर दिशा में चक्रवर्ती के आठ विजय कहे गये हैं । यथा - वप्र, सुवप्र, महावप्र, वप्रावती, दगु, उवल्गु, गन्धिला, गन्धिलावती । जम्बूद्वीप के मेरु पर्वत की पूर्व दिशा में सीता महानदी की उत्तर दिशा में आठ राजधानियां कही गई हैं । यथा - क्षेमा, क्षेमपुरी, अरिष्ठा, अरिष्ठावती, खड्गी, मञ्जूषा, ऋषभपुरी और पुण्डरीकिणी । जम्बूद्वीप के मेरु पर्वत की पूर्व दिशा में सीता महानदी की दक्षिण दिशा में आठ राजधानियों कही गई हैं । यथा - सुसीमा, कुण्डला, अपराजिता, प्रभङ्गरा, अङ्कावती पद्मावती, शुभा, रत्नसञ्चया । जम्बूद्वीप के मेरु पर्वत की पश्चिम दिशा में सीतोदा महानदी की दक्षिण दिशा में आठ राजधानियाँ कही गई हैं । यथा - आशपुरा, सिंहपुरा, महप्पुरा, विजयपुरा, अपराजिता, अपरा, अशोका, वीतशोका । जम्बूद्वीप के मेरु पर्वत की पश्चिम दिशा में सीतोदा महानदी की उत्तर दिशा में आठ राजधानियाँ कहीं गई हैं । यथा - विजया, वैजयन्ती, जयन्ती, अपराजिता, चक्रपुरा, खड्गपुरा, अवध्या और अयोध्या । . ___ जंबूमंदर पुरच्छिमेणं सीयाए महाणईए उत्तरेणं उक्कोसपए अट्ठ अरिहंता अट्ठ चक्कवट्टी, अट्ठ बलदेवा, अट्ठ वासुदेवा, उप्पजिंसु वा, उप्पजति वा, उप्पजिस्संति वा । जंबूमंदरपुरच्छिमेणं सीयाए महाणईए दाहिणेणं उक्कोसपए एवं चेव । जंबूमंदरपच्चत्थिमेणं सीओयाए महाणईए दाहिणेणं उक्कोसपए एवं चेव । एवं Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004187
Book TitleSthananga Sutra Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2008
Total Pages386
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_sthanang
File Size8 MB
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