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________________ स्थान८ २२५ 000000000000000000000000000000000000000000000000000 अट्ठ अग्गमहिसीओ पण्णत्ताओ।ईसाणस्स णं देविंदस्स देवरण्णो वेसमणस्स महारण्णो अट्ठ अग्गमहिसीओ पण्णत्ताओ। महाग्रह, तण वनस्पतिकाय, चउरिन्द्रिय जीवों का संयम असंयम अट्ठ महग्गहा पण्णत्ता तंजहा - चंदे, सूरे, सुक्के, बुहे, बहस्सई, अंगारे, सणिंचरे, केऊ । अट्ठविहा तण वणस्सइकाइया पण्णत्ता तंजहा - मूले, कंदे, खंधे, तया, साले, पवाले, पत्ते, पुप्फे । चउरिदियाणं जीवाणं असमारभमाणस्स अट्ठविहे संजमे कजइ तंजहा - चक्खुमयाओ सोक्खाओ अववरोवित्ता भवइ, चक्खुमएणं दुक्खेणं असंजोइत्ता भवइ, एवं जाव फासामयाओ सोक्खाओ अववरोवित्ता भवइ, फासामएणं दुक्खेणं असंजोइत्ता भवइ । चउरिदियाणं जीवाणं समारभमाणस्स अट्ठविहे असंजमे कजइ तंजहा - चक्खुमयाओ सोक्खाओ ववरोवित्ता भवइ, चक्खुमएणं दुक्खेणं संजोइत्ता भवइ, एवं जाव फासामयाओ सोक्खाओ ववरोवित्ता भवइ, फासामएणं दुक्खेणं संजोइत्ता भवइ । ____ आठ सूक्ष्म, भरत चक्रवर्ती बाद सिद्ध आठ पुरुष . अट्ठ सहुमा पण्णत्ता संजहा - पाणसुहुमे, पणगसहुमे,बीयसुहुमे, हरियसुहुमे, पुष्फसहुमे, अंडसहुमे, लेणसहुमे, सिणेहसहमे । भरहस्सणं रण्णो चाउरंत चक्कवट्टिस्स अट्ठपुरिसजुगाइं अणुबद्धं सिद्धाइं जाव सव्वदुक्खप्पहीणाई तंजहा - आइच्चजसे, महाजसे, अइबले, महाबले, तेयवीरिए, कित्तवीरिए, दंडवीरिए, जलवीरिए । पासस्स णं अरहओ पुरिसादाणियस्स अट्ठ गणा अट्ठ गणहरा होत्था तंजहा - सुभे, अज्जघोसे, वसिट्टे, बंभयारी, सोभे, सिरिधरिए, वीरिए, भद्दजसे ॥९॥ कठिन शब्दार्थ - महग्गहा - महाग्रह, बहस्सइ - बृहस्पति, केउ - केतु, तया - त्वचा, साले - शाखा, पवाले - प्रवाल, पाणसुहुमे - प्राणसूक्ष्म, पणगसहमे - पनक सूक्ष्म, लेणसहुमे - लयनसूक्ष्म, अणुबद्धं- अनुबद्ध-अनुक्रम से । भावार्थ - देवों के राजा देवेन्द्र शक्रेन्द्र के आठ अग्रमहिषियों कही गई हैं यथा - पद्मा, शिवा, शची, अजू, अमला, अप्सरा, नवमिका और रोहिणी। देवों के राजा देवेन्द्र ईशानेन्द्र के आठ अग्रमहिषियों कही गई हैं यथा - कृष्णा, कृष्णराजि, रामा, रामरक्षिता,, वसु, वसुगुप्ता,, वसुमित्रा और वसुन्धरा । देवों के राजा देवों के इन्द्र शक्रेद्र के लोकपाल सोम के और ईशानेन्द्र के लोकपाल वैश्रमण के आठ आठ अग्रमहिषियों कही गई हैं । Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004187
Book TitleSthananga Sutra Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2008
Total Pages386
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_sthanang
File Size8 MB
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