________________
श्री स्थानांग सूत्र 000000000000000000000000000000000000000000000000000 समुद्र कहे गये हैं यथा - लवण समुद्र, कालोद समुद्र, पुष्करोद समुद्र, वरुणोद समुद्र, क्षीरोदसमुद्र, घृतोद समुद्र और क्षोदोद समुद्र । ____सात श्रेणियाँ कही गई है यथा - ऋण्वायता - सीधी श्रेणी, जिसके द्वारा जीव ऊंचे लोक से नीचे लोक में सीधे चले जाते हैं । इसमें एक ही समय लगता है। एकतो वक्रा - जिस श्रेणी द्वारा जीव सीधा जाकर फिर दूसरी श्रेणी में प्रवेश करे। इसमें दो समय लगते हैं। उभयतो वक्रा - जिस श्रेणी से जाता हुआ जीव दो बार वक्रगति करे अर्थात् दो बार दूसरी श्रेणी को प्राप्त करे। इसमें तीन समय लगते हैं। एकतःखा - जिस श्रेणी द्वारा जीव त्रसनाड़ी के बाएं पसवाड़े से त्रसनाड़ी में प्रवेश करके और फिर त्रसनाड़ी द्वारा जाकर उसके बाईं तरफ वाले हिस्से में पैदा होते हैं। यह एक तरफ अंकुशाकार होती है। उभयतःखा - जिस श्रेणी द्वारा जीव त्रसनाड़ी के बाहर से बाएं पसवाड़े से प्रवेश करके त्रसनाड़ी द्वारा जाकर दाहिने पसवाड़े में पैदा होते हैं उसे उभयतःखा कहते हैं। यह दोनों तरफ अंकुशाकार होती है। चक्रवाल - जिस श्रेणी के द्वारा जीव गोल चक्कर खाकर उत्पन्न होते हैं। यह वलयाकार होती है। अर्द्धचक्रवाल - जिस श्रेणी के द्वारा जीव आधा चक्कर खाकर उत्पन्न होते हैं। यह अर्द्ध वलयाकार होती है । .
विवेचन - जिसके द्वारा जीव और पुद्गलों की गति होती है ऐसी आकाश प्रदेश की पंक्ति को । श्रेणी कहते हैं। जीव और पुद्गल एक स्थान से दूसरे स्थान श्रेणी के अनुसार ही जा सकते हैं, बिना श्रेणी के गति नहीं होती। श्रेणियाँ सात हैं। जिनका वर्णन भावार्थ से स्पष्ट है।
- अनीका और अनीकाधिपति चमरस्सणं असुरिंदस्स असुरकुमाररण्णो सत्त अणिया सत्त अणियाहिवई पण्णत्ता तंजहा - पायत्ताणिए, पीढाणिए, कुंजराणिए, महिसाणिए, रहाणिए, णट्टाणिए, गंधव्वाणिए । दुमे पायत्ताणियाहिवई जवं जहा पंचट्ठाणे जाव किण्णरे रहाणियाहिवई, रितु णट्टाणियाहिवई गीयरई गंधव्वाणियाहिवई । बलिस्स णं वइरोयणिंदस्स वइरोयणरण्णो सत्त अणिया, सत्त अणियाहिवई पण्णत्ता तंजहा - पायत्ताणिए जाव गंधव्वाणिए, महहुमे पायत्ताणियाहिवई जाव किंपुरिसे रहाणियाहिवई, महारिटे णट्टाणियाणियाहिवई गीयजसे गंधव्याणियाहिवई । धरणस्स णं णागकुमारिदस्स णागकुमाररण्णो सत्त अणिया सत्त अणियाहिवई पण्णत्ता तंजहा - पायत्ताणिए जाव गंधव्वाणिए रुहसेणे पायत्ताणियाहिवई जाव आणंदे रहाणियाहिवई, णंदणे पट्टाणियाहिवई तेतली गंधव्वाणियाहिवई । भूयाणंदस्स सत्त अणिया सत्त अणियाहिवई पण्णत्ता तंजहा - पायत्ताणिए जाव गंधव्याणिए दक्खे पायत्ताणियाहिवई जाव
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org