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श्री स्थानांग सूत्र
नामक बाजे से पञ्चम स्वर, आडम्बर यानी नगारे से धैवत या रेवत और महाभेरी से सातवां निषाद स्वर निकलता है ।। ६-७॥
इन सात स्वरों के सात लक्षण कहे गये हैं यथा - षड्ज स्वर से मनुष्य आजीविका को प्राप्त करता है । उसके किये हुए काम व्यर्थ नहीं जाते हैं । गौएं, मित्र और पुत्र प्राप्त होते हैं और वह पुरुष स्त्रियों का प्रिय होता है ।। ८॥
___ ऋषभ स्वर से ऐश्वर्य, सेनापतिपना, धन, वस्त्र, गन्ध, आभूषण, स्त्रियां और शयन प्राप्त होते हैं ।।९॥ ___ गान्धार स्वर को गाने की कला जानने वाले पुरुष वर्यवृत्ति यानी श्रेष्ठ आजीविका वाले विशिष्ट कवि, बुद्धिमान् और दूसरी कलाओं तथा शास्त्रों के पारगामी होते हैं ।। १०॥
मध्यम स्वर वाले मनुष्य सुखपूर्वक जीवन व्यतीत करने वाले होते हैं । वे सुखपूर्वक खाते, पीते और दान देते हैं ।। ११॥
. पञ्चम स्वर वाला पुरुष पृथ्वीपति, शूरवीर, संग्रह करने वाला और अनेक गुणों का नायक होता है ।। १२॥
रैवत या धैवत स्वर वाला पुरुष कलहप्रिय, चिड़ीमार, वागुरिक यानी शिकारी शौकरिक यानी कसाई और मच्छीमार होता है ।।१३॥ . निषाद स्वर वाला पुरुष चाण्डाल वृत्तिवाला, मौष्टिक मल्ल, सेवक पापकर्म करने वाले गोघातक. यानी गायों की हत्या करने वाला और चोर होता है ।। १४॥
इन सात स्वरों के तीन ग्राम कहे गये हैं यथा - षड्जग्राम मध्यमग्राम और गान्धारग्राम । षड्ज ग्राम की सात मूर्छनाएं कही गई हैं यथा - मार्गी, कौर्विका, हरिता, रजनी, सारकान्ता, सारसी
और शुद्ध षड्जा ।। १५॥ . मध्यमग्राम की सात मूर्छनाएं कही गई हैं यथा - उत्तरमंदा, रजनी, उत्तरा, उत्तरासमा, अश्वकान्ता सौवीरा और सातवीं अभीरु नामक होती है ।। १६॥
गान्धार ग्राम की सात मूर्छनाएं कही गई है यथा - नन्दिता, क्षुद्रिमा, पूरिमा, शुद्धगान्धरा, उत्तरगान्धरा, सुष्ठुतर आयामा और उत्तरायत कोटिमा । इस प्रकार तीनों ग्रामों की सात सात मूर्छनाएं होती हैं ।। १८॥ ___ सात स्वर कहां से उत्पन्न होते हैं? गीत की क्या योनि हैं ? और कितने समय से श्वासोच्छ्वास लिया जाता है ? ।। १९॥ इन प्रश्नों का उत्तर दिया जाता हैं।
सात स्वर नाभि से उत्पन्न होते हैं । गीत की-योनि रुदन है । किसी कविता की एक कड़ी उसका सांस है और गीत के तीन आकार हैं । यानी प्रारम्भ करते हुए शुरूआत में मृदु और मध्य में तीव्र तथा अन्त में मन्द ये गीत के तीन आकार हैं ।। १९-२१॥
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