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श्री स्थानांग सूत्र 000000000000000000000000000000000000000000000000000
सत्त सराओ कओ संभवंति, गेयस्स का भवइ जोणी । कई समया उस्सासा, कई वा गेयस्स आगारा ॥ १९॥ सत्त सरा णाभीओ भवंति, गीयं च रुण्ण जोणीयं । । पादसमा उस्सासा, तिणि य गीयस्स आगारा ॥ २०॥ आइ मिउ आरभंता, समुबहता य मझगारम्मि । अवसाणे तज्जवितो तिण्णि ब गेयस्स आगारा ॥ २१॥ छहोसे अद्वगुणे तिण्णि य वित्ताइं दो य भइणीओ। जाणाहिइ सो गाहिइ, सुसिक्खिओ रंगमज्झम्मि ॥ २२॥ भीयं दुयं रहस्सं, गायंतो मा य गाहि उत्तालं ।... काकस्सरमणुणासं, य होति. गीयस्स छ होसा ॥ २३॥ .: पुण्णं रत्तं च अलंकियं च वत्तं तहा अविघुटुं । महुरं समं सुकुमार, अट्ठ गुणा होति गीयस्स ॥ २४॥..' उरकंठ सिर पसत्यं य गेजंते भिउरिभिय पदवद्धं । समताल पडुक्खेवं, सत्तसर सीहरं गीयं ॥ २५॥ णिोसं सारवयं च, हेउजुत्तमलंकियं । उवणीयं सोवयारं च, मियं महुरमेव च ॥ २६॥ सममद्धसमं चेव, सव्वत्थ विसमं च जं । तिणि वित्तप्पयाराई, चउत्थं णोवलब्भइ ॥ २७॥ सक्कया पागया चेव, दुहा भइणीओ आहिया । सरमंडलम्मि गिजंते, पसत्था इसिभासिया ॥ २८॥ केसी गायइ य महुरं, केसी गायइ खरंच रुक्खं च । केसी गायइ चउर, केसी विलंब टुअं केसी ॥२९॥ विस्सरं पुण केरिसी? सामा गायइ महुरं, काली गायइ खरं च रुक्खं च । गोरी गायइ चउरं, काण बिलंबं दुअं अंधा ॥३०॥
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