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________________ १२८ श्री स्थानांग सूत्र (ग) काल प्रत्युपेक्षणा - उचित अनुष्ठान के लिए काल विशेष का विचार करना काल प्रत्युपेक्षणा है। (घ) भाव प्रत्युपेक्षणा - मैंने क्या क्या अनुष्ठान किये हैं, मुझे क्या करना बाकी रहा है एवं मैं करने योग्य किस तप का आचरण नहीं कर रहा हूं, इस प्रकार पिछली रात्रि के समय धर्म जागरणा करना भाव प्रत्युपेक्षणा है। उक्त भेदों वाली प्रत्युपेक्षणा में शिथिलता करना अथवा तत् सम्बन्धी भगवदाज्ञा का अतिक्रमण करना प्रत्युपेक्षणा प्रमाद है। प्रतिलेखना,लेश्या छव्विहा पमाय पडिलेहणा पण्णत्ता तंजहा - आरभडा सम्मदा, वज्जेयव्या य मोसली तईया । पप्फोडणा चउत्थी, विक्खित्ता वेइया छट्ठी ॥१॥ छव्विहा अप्पमाय पडिलेहणा पण्णत्ता तंजहा - अणच्चावियं अवलियं, अणाणुबंधिं अमोसलिं चेव । छप्पुरिमा णवखोडा, पाणिपाण विसोहणी ॥२॥ छलेस्साओ पण्णत्ताओ तंजहा - कण्हलेस्सा, णीललेस्सा, काउलेस्सा, तेउलेस्सा, पहलेसा, सुक्कलेस्सा । पंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं छ लेस्साओ पण्णत्ताओ तंजहाकण्हलेस्सा जाव सुक्कलेस्सा । एवं मणुस्स देवाण वि । - अग्रमहिषियाँ - सक्कस्स णं देविंदस्स देवरण्णो सोमस्स महारण्णो छ अग्गमहिसीओ पण्णत्ताओ, सक्कस्स णं देविंदस्स देवरणो जमस्स महारण्णो छ अग्गमहिसीओ पण्णत्ताओ। ईसाणस्स णं देविंदस्स देवरण्णो मज्झिम परिसाए देवाणं छ पलिओवमाइं ठिई पण्णत्ता । छ दिसिकुमारि महत्तरियाओ पण्णत्ताओ तंजहा - रूवा, रूवंसा, सुरूवा, रूववई, रूवकता, स्वप्पभा। छ विज्जुकुमारि महत्तरियाओ पण्णत्ताओ तंजहा - आला, सक्का, सतेरा, सोयामणी, इंदा, घणविजुया ।धरणस्स णं णागकुमारिदस्स नागकुमाररण्णो छ अग्गमहिसीओ पण्णत्ताओ तंजहा - आला, सक्का, सतेरा, सोयामणी, इंदा, घणविज्जुया । भूयाणंदस्स णं णागकुमारिदस्स णागकुमाररण्णो छ अग्गमहिसीओ पण्णत्ताओ तंजहा - रूवा, रूवंसा, सुरूवा, वववई, रूवकंता, Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004187
Book TitleSthananga Sutra Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2008
Total Pages386
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_sthanang
File Size8 MB
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