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श्री स्थानांग सूत्र
इन चार भावनाओं से जीव उस उस प्रकार के देवों में उत्पन्न कराने वाले कर्म बांधता है। अरिहंत भगवान्, अरिहंत प्ररूपित धर्म, आचार्य महाराज और उपाध्यायजी महाराज का अवर्णवाद. बोलने वाला और उनमें अविद्यमान दोष बतलाने वाला किल्विषी देवों में उत्पन्न होता है।
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प्रव्रज्या-भेद
चडव्विहा पव्वज्जा पण्णत्ता तंजहा - इहलोग पडिबद्धा, परलोग पडिबद्धा, उभओ लोगपडिबद्धा, अप्पडिबद्धा । चउव्विहा पव्वज्जा पण्णत्ता तंजहा - पुरओ पडिबद्धा, मग्गओ पडिबद्धा, दुहओ पडिबद्धा, अप्पडिबद्धा । चउव्विहा पव्वज्जा पण्णत्ता तंजहा - ओवाय पव्वज्जा, अक्खाय पव्वज्जा, संगार पव्वज्जा, विहगगइ पव्वज्जा । चउव्विहा पव्वज्जा पण्णत्ता तंजहा - तुयावइत्ता, पुयावइत्ता, मोयावइत्ता, परिपूयावइत्ता । चउव्विहा पव्वज्जा पण्णत्ता तंजहा डखइया, भडखइया, सीहखइया, सीयालखइया । चउव्विहा किसी पण्णत्ता तंजहा- वाविया, परिवाविया, ििदया, परिणिदिया । एवामेव चउव्विहा पव्वज्जा पण्णत्ता वाविया, परिवाविया, निंदिया, परिणिदिया । चउव्विहा पव्वज्जा पण्णत्ता तंजहा - धण्णपुंजियसमाणा, धणविरल्लियसमाणा, धण्ण विक्खित्तसमाणा, धण्णसंकट्टियसमाणा ॥ १९५॥
कठिन शब्दार्थ - पव्वज्जा - प्रव्रज्या - दीक्षा, पडिबद्धा - प्रतिबद्धा, अपडिबद्धा - अप्रतिबद्धा, पुरओ पुरतः, मग्गओ - मार्गतः, दुहओ - द्विधा, ओवाय अवपात, अक्खाय - आख्यात, विहगगड़ - विहग गति, संगार संगार - संकेत, तुयावइत्ता - पीडा उत्पन्न करके, पुयावइत्ता - दूसरे स्थान पर ले जा कर, मोयावइत्ता - पराधीनता से छुड़ा कर परिपूयावइत्ता भोजन आदि का लालच बता कर, गडखड्या - नटखादिता, भडखड़इया भट खादिता, सीह खड़या - सिंह खादिता, सीयालखइयाश्रृगाल खादिता, किसी कृषि खेती, वाविया - वापिता- एक बार बोने से उग जाय, परिवाविया - परिवापिता- उखाड़ कर दूसरी जगह बोने से उगे, जिंदिया - निदाता, परिणिंदिया - परिनिदाता,
पुंजिया धान्य पुंजित समाना, धण्णविरल्लियसमाणा धणविक्खितसमाणा - धान्य विक्षिप्त समाना, धण्णसंकट्टियसमाणा
धान्य विरेल्लितसमाना, धान्य संकर्षित समाना। भावार्थ - चार प्रकार की प्रव्रज्या - दीक्षा कही गई है । यथा इहलोकप्रतिबद्धा यानी इस लोक में अपना पेट भरने के लिए जो प्रव्रज्या ली जाय । परलोक प्रतिबद्धा यानी दूसरे जन्म में भोगादि की प्राप्ति के लिए ली जाने वाली प्रव्रज्या, उभय लोक प्रतिबद्धा यानी उपरोक्त दोनों के लिए ली जाने वाली प्रव्रज्या अप्रतिबद्ध यानी विशिष्ट सामायिक चारित्र वालों की प्रव्रज्या जो केवल मोक्ष के लिए होती
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