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स्थान ४ उद्देशक ४ 000000000000000000000000000000000000000000000000000
साल दुममज्झयारे, एरंडे णाम होइ दुमराया । इय मंगुल आयरिए, सुंदर सीसे मुणेयव्वे ॥ ३ ॥ एरंडमज्झयारे, एरंडे णाम होइ दुमराया ।
इय मंगुल आयरिए, मंगुलसीसे मुणेयव्वे ॥ ४ ॥ १८९॥ कठिन शब्दार्थ - सोवाग करंडए - श्वपाक (चाण्डाल) का करंडिया, वेसिया करंडए - वेश्या का करंडिया, गाहावइ करंडए - गाथापति का करंडिया, रायकरंडए - राजा का करंडिया, साले णाम - साल नाम का, साल परियाए - साल पर्याय वाला, एरंडपरियाए - एरण्ड पर्याय (धर्म) वाला, सालदुममझेयारे- साल वृक्षों में, सुंदर सीसे - गुणसंपन्न शिष्य, मुणेयव्वे - जानना चाहिये, मंगुलसीसेअसुंदर-निर्गुण शिष्य परिवार।।
भावार्थ - चार प्रकार के करडिए कहे गये हैं । यथा - चाण्डाल का करंडिया, वेश्या का करंडिया गाथापति का करंडिया और राजा का करंडिया । इसी तरह चार प्रकार के आचार्य कहे गये हैं। यथा - चाण्डाल के करंडिए समान यानी जैसे - चाण्डाल का करंडिया कचरे से भरा हुआ होने के कारण असार होता है उसी तरह जो सूत्रार्थ से रहित और विशिष्ट क्रिया से रहित आचार्य होता है वह चाण्डाल.के करंडिए समान है । जैसे वेश्या का करंडिया लाख के गहनों से भरा होता है उसी तरह जो आचार्य थोड़ा सा ज्ञान पढ़ कर वाणी की चतुराई से भोले लोगों को भ्रम में डालता है वह वेश्या के करंडिए समान है । जैसे गाथापति का करंडिया सोने और रत्नों के गहनों से भरा होता है उसी तरह जो आचार्य स्वसिद्धान्त और परसिद्धान्त का जानकार और संयम क्रिया से युक्त होता है वह गाथापति के करंडिए समान है । जैसे राजा का करंडिया बहुमूल्य आभूषण और रत्नों से भरा हुआ होता है उसी तरह जो आचार्य के समस्त गुणों से युक्त होता है, तीर्थङ्कर नहीं किन्तु तीर्थङ्कर के समान होता है वह राजा के करंडिए समान है।
चार प्रकार के वृक्ष कहे गये हैं यथा - कोई एक वृक्ष साल नाम का है और साल पर्याय वाला है अर्थात् सघन छाया आदि। साल वृक्ष के गुणों से युक्त है । कोई एक वृक्ष साल नाम का है किन्तु एरण्ड धर्म वाला है अर्थात् सघन छायां आदि गुणों से युक्त नहीं है । कोई एक वृक्ष एरण्ड नाम का है किन्तु सघन छाया आदि साल वृक्ष के धर्मों से युक्त है । कोई एक वृक्ष एरण्ड नाम का है और एरण्ड वृक्ष के धर्मों से युक्त है । इसी तरह चार प्रकार के आचार्य कहे गये हैं यथा - कोई एक आचार्य साल वृक्ष की तरह उच्च कुल वाला होता है और ज्ञान क्रिया आदि गुणों से युक्त होता है। कोई एक आचार्य साल वृक्ष की तरह उच्च कुल वाला होता है किन्तु ज्ञान आदि क्रियाओं से हीन होता है। कोई एक आचार्य एरण्ड वृक्ष की तरह हीन कुल वाला होता है किन्तु ज्ञान क्रिया आदि गुणों से युक्त होता है, कोई एक आचार्य एरण्ड वृक्ष की तरह हीन कुल वाला होता है और ज्ञान क्रिया आदि गुणों से भी रहित होता है।
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