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श्री स्थानांग सूत्र
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३. जीमूत - जो एक बार बरस कर दस वर्ष के लिए पृथ्वी को उपजाऊ बना देता है।
४. जिह्न - जो मेघ कई बार बरसने पर भी पृथ्वी को एक वर्ष के लिए भी नियम पूर्वक उपजाऊ नहीं बनाता। अर्थात् बनाता भी है या नहीं भी बनाता है।
इसी तरह पुरुष भी चार प्रकार के हैं। एक पुरुष एक ही बार उपदेश देकर सुनने वाले के दुर्गणों को हमेशा के लिए छुड़ा देता है वह पहले मेघ के समान हैं। उससे उत्तरोत्तर कम प्रभाव वाले वक्ता दूसरे और तीसरे मेघ सरीखे हैं। बार बार उपदेश देने पर भी जिनका असर नियमपूर्वक न हो अर्थात् कभी. हो और कभी न हो। वह चौथे मेघ के समान हैं। ___ दान के लिए भी यही बात है। एक ही बार दान देकर हमेशा के लिए याचक के दारिद्रय को दूर करने वाला दाता प्रथम मेंघ सदृश है। उससे कम शक्ति वाले दूसरे और तीसरे मेघ के समान है। किन्तु जिसके अनेक बार दान देने पर भी थोड़े काल के लिए भी अर्थी (याचक) की आवश्यकताएं नियमपूर्वक पूरी न हो ऐसा दानी जिह्न मेघ के समान हैं।
करण्डक और आचार्य चत्तारि करंडगा पण्णत्ता तंजहा - सोवाग करंडए, वेसिया करंडए, गाहावइ करंडए, राय करंडए । एवामेव चत्तारि आयरिया पण्णत्ता तंजहा - सोवाग करंडगसमाणे, वेसिया करंडग समाणे, गाहावइ करंडग समाणे, राय करंडग समाणे।
शाल तरु और आचार्य चत्तारि रुक्खा पण्णत्ता तंजहा- साले णाममेगे साल परियाए, साले णाममेगे एरंडपरियाए, एरडे णाममेगे साल परियाए, एरंडे णाममेगे एरंड परियाए। एवामेव चत्तारि आयरिया पण्णत्ता तंजहा - साले णाममेगे साल परियाए, साले णाममेगे एरंडपरियाए,एरंडे णाममेगे सालपरियाए, एरंडे णाममेगे एरंडपरियाए। चत्तारि रुक्खा पण्णत्ता तंजहा - साले णाममेगे सालपरिवारे, साले णाममेगे एरंड परिवारे, एरंडे । णाममेगे सालपरिवारे, एरंडे णाममेगे एरंडपरिवारे । एवामेव चत्तारि आयरिया पण्णत्ता तंजहा - साले णाममेगे साल परिवारे, साले णाममेगे एरंडपरिवारे, एरंडे णाममेगे सालपरिवारे, एरंडे णाममेगे एरंडपरिवारे।
सालदुममाझयारे, जह साले णाम होइ दुमराया । इय संदर आयरिए, सुंदर सीसे मुणेयव्वे ॥ १ ॥ एरंडमण्झयारे, जह साले णाम होइ दुमराया । इय सुन्दर आयरिए, मंगुल सीसे मुणेयव्वे ॥ २ ॥
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