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' श्री स्थानांग सूत्र 000000000000000000000000000000000000000000000000000 हैं- चन्द्रपर्वत, सूर्य पर्वत; देव पर्वत और नागपर्वत। इस प्रकार कुल सोलह पर्वत हैं । मेरु पर्वत की चार विदिशाओं में चार वक्षस्कार पर्वत कहे हैं - सोमनस, विद्युत्प्रभ, गंधमादन, माल्यवान्।'
जंबूद्वीप के महाविदेह क्षेत्र में कम से कम चार अरिहन्त, चार चक्रवर्ती, चार बलदेव और चार वासुदेव सदा काल रहते हैं। एक विजय में एक तीर्थंकर, एक चक्रवर्ती, एक बलदेव और एक ही वासुदेव उत्पन्न होते हैं। जिस विजय में चक्रवर्ती होते हैं उसमें बलदेव वासुदेव नहीं होते हैं क्योंकि उनका स्वतन्त्र साम्राज्य होता है।
- मेरुपर्वत पर चार वन हैं - भद्रशाल, नन्दन, सौमनस और पण्डक। पण्डक वन में पूर्व दक्षिण, पश्चिम, उत्तरदिशा में क्रमशः चार अभिषेक शिलाएं हैं यथा - (१) पाण्डुकम्बलशिला (२) अतिपाण्डुकम्बल शिला (३) रक्तकंबल शिला और (४) अतिरक्तकम्बल शिला। इनमें से पाण्डुकम्बल शिला और रक्तकम्बल शिला पर दो-दो सिंहासन हैं और शेष दो शिलाओं पर एक-एक सिंहासन है। जहाँ पर तीर्थंकरों का जन्म महोत्सव किया जाता है। जिस दिशा में तीर्थंकर का जन्म होता है उसी दिशा वाली शिला पर उनका जन्माभिषेक किया जाता है। अर्थात् - दक्षिण में अति पण्डु कम्बल शिला है जिस पर भरत क्षेत्र के तीर्थङ्करों का जन्म महोत्सव किया जाता है। उत्तर दिशा में अतिरक्त कम्बल शिला है जिस पर ऐरवत क्षेत्र के तीर्थङ्करों का जन्म महोत्सव किया जाता है। पूर्व में पण्डुकम्बल शिला है जिस पर पूर्व महाविदेह क्षेत्र के तीर्थङ्करों का जन्म महोत्सव किया जाता है। पश्चिम में रक्त कम्बल शिला है जिस पर पश्चिम महाविदेह क्षेत्र के तीथङ्करों का जन्म महोत्सव किया जाता है।
जंबूद्वीप के द्वार . जंबूद्दीवस्स णं दीवस्स चत्तारि दारा पण्णत्ता तंजहा :- विजए, वेजयंते, जयंते, अपराजिए । ते णं दारा चत्तारि जोयणाई विक्खंभेणं तावइयं चेव पवेसेणं पण्णत्ता । तत्थणं चत्तारि देवा महिड्डिया जाव पलिओवट्ठिइया परिवसंति तंजहा - विजए, वेजयंते, जयंते, अपराजिए॥१६०॥
कठिन शब्दार्थ - दारा - द्वार, पवेसेणं - प्रवेश द्वार।
भावार्थ - इस जम्बूद्वीप के चार द्वार कहे गये हैं यथा - विजय, वैजयंत, जयंत और अपराजित । वे द्वार चार योजन की चौड़ाई वाले हैं और उतना ही यानी चार योजन का उनका प्रवेशद्वार कहा गया है । वहां पर महान् ऋद्धि वाले यावत् एक पल्योपम की स्थिति वाले चार देव रहते हैं यथा - विजय, वैजयंत, जयंत और अपराजित ।
विवेचन - जंबूद्वीप के पूर्व में विजय, दक्षिण में वैजयंत, पश्चिम में जयंत और उत्तर दिशा में अपराजित नाम का द्वार है। इन द्वारों पर उनके नाम के अनुसार चार देव रहते है। विस्तृत वर्णन के लिए जिज्ञासुओं को जीवाभिगम सूत्र की तीसरी प्रतिपत्ति देखना चाहिये।
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