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श्री स्थानांग सूत्र 000000000000000000000000000000000000000000000000000 दूसरों से वन्दना नहीं करवाता है। इसकी चौभंगी कह देनी चाहिए। इसी प्रकार सत्कार करता है, सन्मान करता है, पूजा करता है, वाचना देता है, बार बार प्रश्न करता है अथवा सूत्रार्थ ग्रहण करता है, प्रश्न पूछता है और प्रश्न का उत्तर देता है। इन सब की पृथक् पृथक् चौभङ्गियाँ कह देनी चाहिए । चार प्रकार के पुरुष कहे गये हैं। यथा - कोई एक पुरुष सूत्रधर है किन्तु अर्थधर नहीं है । कोई एक पुरुष अर्थधर है किन्तु सूत्रधर नहीं है। कोई एक पुरुष सूत्रधर भी है और अर्थधर भी है । कोई एक पुरुष-न तो सूत्रधर है और न अर्थधर है ।
इन्द्रों के लोकपाल, देव प्रकार, प्रमाण चमरस्स णं असुरिदस्स असुरकुमाररण्णो चत्तारि लोगपाला पण्णत्ता तंजहा - सोमे, जमे, वरुणे, वेसमणे । एवं बलिस्स वि सोमे, जमे, वेसमणे, वरुणे ।धरणस्स कालपाले कोलपाले सेलपाले, संखपाले, एवं भूयाणंदस्स चत्तारि कालपाले, कोलपाले, संखपाले, सेलपाले, वेणुदेवस्स चित्ते, विचित्ते, चित्तपक्खे, विचित्तपक्खे। वेणुदालिस्स चित्ते विचित्ते विचित्तपक्खे, चित्तपक्खे । हरिकंतस्स पभे, सप्पभे, पभकंते, सुप्पभकंते । हरिस्सहस्स पभे, सुप्पभे, सुप्पभकंते, पभकंते । अग्गिसिहस्स तेऊ, तेउसिहे, तेउकंते, तेउप्पभे । अग्गिमाणवस्स तेऊ, तेउसिहे तेउप्पभे, तेउकंते । पुण्णस्स रूए रूयंसे रूयकंते रूयप्पभे । एवं विसिट्ठस्स रूए, रूयंसे, रूयप्पभे, रूयकंते । जलकंतस्स जले जलरए जलकंते जलप्पभे । जलप्पहस्स जले जलरए जलप्पभे, जलकंते । अमियगइस्स तुरियगई खिप्पगई सीहगई सीह विक्कमगई । अमियवाहणस्स तुरियगई खिप्पगई, सीहविक्कमगई, सीहगई । वेलंबस्स काले, महाकाले, अंजणे, रिटे । पभंजणस्स काले, महाकाले रिटे अंजणे । घोसस्स आवत्ते, वियावत्ते, णंदियावत्ते, महाणंदियावत्ते । महाघोसस्स आवत्ते वियावत्ते, महाणंदियावत्ते, णंदियावत्ते । सक्कस्स सोमे, जमे, वरुणे, वेसमणे । ईसाणस्स सोमे, जमे, वेसमणे, वरुणे । एवं एगंतरिया जाव अच्चुयस्स । चउव्विहा वाउकुमारा पण्णत्ता तंजहा - काले महाकाले वेलंबे पभंजणे । चउव्विहा देवा पण्णत्ता तंजहा - भवणवासी, वाणमंतरा, जोइसिया, विमाणवासी । चउविहे पमाणे पण्णत्ते तंजहा - दव्वप्पमाणे, खित्तप्पमाणे, कालप्पमाणे, भावप्पमाणे॥१३६॥
कठिन शब्दार्थ - सोमे - सोम, जमे - यम, वरुणे - वरुण, वेसमणे - वैश्रमण, बलिस्स -
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