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श्री स्थानांग सूत्र 000000000000000000000000000000000000000000000000000
बादर वनस्पति भेद चउव्विहा तणवणस्सइकाइया पण्णत्ता तंजहा - अग्गबीया, मूलबीया, पोरबीया, खंधबीया।
नैरयिक की मनुष्य लोक में आगमनीच्छा चउहिं ठाणेहिं अहुणोववण्णे णेरइए णिरयलोयंसि इच्छेग्जा माणुसं लोगं हव्वमागच्छित्तए, णो चेव णं संचाएइ हव्वमागच्छित्तए, अहुणोववण्णे णेरइए णिरयलोयंसि समुब्भूयं वेयणं वेयमाणे इच्छेज्जा माणुसं लोगं हव्वमागच्छित्तए, णो चेव णं संचाएइ हव्वमागच्छित्तए।अहुणोववण्णे णेरइए णिरयलोयंसि णिरय पालेहिं भुजो भुजो अहिटिग्जमाणे इच्छेज्जा माणुसं लोगं हव्वमागच्छित्तए, णो चेव णं संचाएइ हव्वमागच्छित्तए।अहुणोववण्णे णेरइए णिरयवेयणिजंसि कम्मंसि अक्खीणंसि अवेइयंसि अणिज्जिण्णंसि इच्छेजा हव्वमागच्छित्तए णो चेव णं संचाएइ . हव्वमागच्छित्तए। अहुणोववण्णे णेरइए णिरयाउयंसि कम्मंसि अक्खीणंसि जाव णो घेव णं संचाएइ हव्वमागच्छित्तए। इच्चेएहिं चउहिं ठाणेहिं अहुणोववण्णे णेरइए जाव णो चेवणं संचाएइ।
भिक्षणी और संघारिका । कप्पंति णिग्गंथीणं चत्तारि संघाडीओ धारित्तए वा परिहरित्तए वा तंजहा - एगं दुहत्य वित्यारं, दो तिहत्य वित्थारा, एगं चउहत्थ वित्थारं॥१३०॥ ____ कठिन शब्दार्थ - तणवणस्सइकाइया - तृण वनस्पतिकायिक, अग्गबीया - अग्रबीज-जिसके अग्रभाग में बीज हो, मूलबीया - मूलबीज, पोरबीया - पर्व (गांठ)बीज, खंधबीया - स्कंधबीज, णिरयलोयंसि - नरक लोक में, अहुणोबवण्णे - तत्काल उत्पन्न हुआ, समुन्भूयं-सम्मूहभूयं-समहभूयंसुमहभूयं - अति प्रबल रूप से उत्पन्न हुई या एकदम सामने आई हुई अथवा अत्यंत महान् अथवा सुमहान्, णिरयपालेहिं - नरकपाल-परमाधर्मिक भवनपति देवों द्वारा, भुज्जो भुज्जो - बार बार, अहिटिग्जमाणे - पीडित किया जाता हुआ, णिरयवेयणिज्जसि - नरक में वेदने योग्य (अत्यंत अशुभ नाम कर्म आदि का), अक्खीणंसि - क्षय न होने से, अवेइयंसि - उसको न वेदने से, अणिज्जिण्णंसि - निर्जरा न होने से, णिग्गंथीणं - साध्वियों को, संघाडीओ - संघाटिका-साडियाँओढने की पछेवडियाँ, धारित्तए - धारण करना, परिहरित्तए - पहनना, दुहत्थ वित्थार - दो हाथ विस्तार वाली, तिहत्य वित्थारा - तीन हाथ विस्तार वाली
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