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चउत्थं ठाणं चौथा स्थान
चतुर्थ स्थान का प्रथम उद्देशक
_ (चार अन्त क्रियाएं) चत्तारि अंतकिरियाओ पण्णत्ताओ तंजहा - तत्थ खलु इमा पढमा अंतकिरिया अप्पकम्मपच्चायाए यावि भवइ, से णं मुंडे भवित्ता अगाराओ अणगारियं पव्वइए संजमबहुले, संवरबहुले, समाहिबहुले लूहे तीरट्ठी उवहाणवं दुक्खक्खवे तवस्सी, तस्स णं णो तहप्पगारे तवे भवइ, णो तहप्पगारा वेयणा भवइ, तहप्पगारे पुरिसजाए दीहेणं परियाएणं सिल्झाइ बुझाइ मुच्चइ परिणिव्वाइ सव्वदुक्खाणमंतं करेइ, जहा से भरहे राया चाउरंतचक्कवट्टी, पढमा अंतकिरिया।अहावरा दोच्चा अंतकिरिया, महाकम्मे पच्चायाए यावि भवइ, से णं मुंडे भवित्ता अगाराओ अणगारियं पव्वइए संजम बहुले, संवरबहुले, जाव उवहाणवं दुक्खक्खवे तवस्सी, तस्स णं तहप्पगारे तवे भवइ, तहप्पगारा वेयणा भवइ, तहप्पगारे पुरिसजाए णिरुद्धणं परियाएणं सिग्झइ जाव अंतं करेइ, जहा से गयसुमाले अणगारे, दोच्चा अंतकिरिया। अहावरा तच्चा अंतकिरिया, महाकम्मे पच्चायाए यावि भवइ, से णं मुंडे भवित्ता अगाराओ अणगारियं पव्वइए, जहा दोच्चा, णवरं दीहेणं परियाएणं सिग्झइ जाव सव्वदुक्खाणमंतं करेइ, जहा से सणंकुमारे राया चाउरंतचक्कवट्टी, तच्चा अंतकिरिया। अहावरा चउत्था अंतकिरिया, अप्पकम्मपच्चायाए यावि भवइ, से णं मुंडे भवित्ता जाव पव्वइए संजमबहुले जाव तस्स णं णो तहप्पगारे तवे भवइ, णो तहप्पगारा वेयणा भवइ, तहप्पगारे पुरिसजाए णिरुद्धणं परियाएणं सिज्झइ जाव सव्वदुक्खाणमंतं करेइ, जहा सा मरुदेवी भगवई, चउत्था अंतकिरिया॥१२५॥
कठिन शब्दार्थ - चत्तारि - चार, अंतकिरियाओ - अन्त क्रियाएं-जन्म मरण से छूट कर इस संसार का अन्त करने वाली क्रियाएं, अप्पकम्म पच्चायाए - अल्प कर्म वाला-हलुकर्मी जीव परभवदेवलोकादि से चव कर मनुष्य भव में आता है, संजमबहुले - संयम बहुल-संयम युक्त, संवर बहुले -
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