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स्थान १ उद्देशक १ ००००००००००००००००००००००00000000000000000000000000000
मोक्खे - 'कृत्स्नकर्मक्षयो मोक्षः' - सम्पूर्ण कर्मों का क्षय होना मोक्ष है। वह मोक्ष एक है।
पुण्णे - 'पुणति-शुभीकरोति पुनाति वा-पवित्रीकरोति आत्मानं इति पुण्यं' पुण् धातु शुभ अर्थ में है। जो आत्मा को शुभ एवं पवित्र बनाता है वह पुण्य है। पुण्य के द्वारा जीव को सुख की प्राप्ति होती है।
__पावे - 'पांशयति गुण्डयत्यात्मानं पातयति चात्मन आनन्दरसं शोषयति क्षपयतीति पामम्। मलिनयति आत्मानं मलिनी करोति इति पापम् ।'
अर्थ - जो आत्मा को मलिन करे उसको पाप कहते हैं। आत्मा के आनन्द रस को सूखावें तथा दुर्गति में गिरावे उसको पाप कहते हैं। पाप से जीव को दुःख की अनुभूति होती है।
आसवे - 'आस्रवन्ति - प्रविशन्ति येन कर्माणि आत्मनि इति आस्रवः।' अर्थ - जिसके द्वारा कर्म आत्मा में प्रवेश करें उसे आस्रव कहते हैं।
आस्रव इन्द्रिय, कषाय, अव्रत, क्रिया और योग रूप है जो क्रमशः पांच, चार, पांच, पच्चीस और तीन भेद वाला है। आस्रव ४२ प्रकार का कहा है अथवा द्रव्य और भाव से दो प्रकार का कहा है। छिद्रों के द्वारा नाव में जल प्रवेश द्रव्यास्रव है और जीव रूप नाव में इन्द्रिय आदि छिद्रों से कर्मरूपी जल का संचय आस्रव कहलाता है। भाव आस्रव के अनेक भेद होते हुए भी सामान्य रूप से उसे एक ही माना है।
संवरे - 'संवियते-कम् कारणं प्राणातिपातादि निरूध्यते येन परिणामेन स संवरः, आश्रवनिरोध इत्यर्थः। । ___ अर्थ - कर्म बन्ध के कारण प्राणातिपात आदि पापों का आगमन जिससे रुक जाय, उसे संवर कहते हैं। _ आस्रव का निरोध करना संवर कहलाता है। संवर समिति गुप्ति, यतिधर्म, भावना, परीषहजय
और चारित्र रूप है वह क्रमशः पांच, तीन, दस, बारह, बाईस और पांच भेद वाला है। संवर के कुल ५७ भेद होते हैं। - वेयणा - वेदनं - वेदना-कर्मों के स्वाभाविक उदय से अथवा उदीरणाकरण किये बिना उदयावलिका में प्रवेश प्राप्त कर्म का अनुभव करना। यह वेदना ज्ञानावरणीय कर्म आदि की अपेक्षा आठ प्रकार की है अथवा विपाकोदय और प्रदेशोदय की अपेक्षा दो प्रकार की है अथवा आभ्युपगमिकी वेदना (कर्म क्षय के लिए कायक्लेश, केशलुंचन आदि) और औपक्रमिकी वेदना (स्वतः रोग आदि) से दो प्रकार की है किन्तु सामान्य रूप से अनुभूति रूप वेदना एक ही है। णिजरा - 'निर्जरणं निर्जरा विशरणं परिशटनमित्यर्थः।' अर्थ .. कर्मों का आत्मा से पृथक् होना निर्जरा कहलाता है। यह निर्जरा आठ कर्मों की अपेक्षा
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