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स्थान ३ उद्देशक ४
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परिवसंति ? उप्पिं जोइसियाणं हेट्ठि सोहम्मीसाणेसु कप्पेसु एत्थ णं तिपलिओवमठिईया देवा किव्विसिया परिवसंति। कहिं णं भंते! तिसागरोवमठिईया देवा किव्विसया परिवसंति ? उप्पिं सोहम्मीसाणाणं कप्पाणं हेट्ठि सणकुमार माहिंदेसु कप्पेसु एत्थ णं तिसागरोवम ठिईया देवा किव्विसिया परिवसंति । कहि णं भंते ! तेरससागरोवमठिया देवा किव्विसिया परिवसंति ? उप्पिं बंभलोगस्स कप्पस्स हेट्ठि लंतगे कप्पे एत्थ णं तेरससागरोवमठिया देवा किव्विसिया परिवसंति ॥ १०६ ॥
कठिन शब्दार्थ - देव किव्विंसिया - किल्विषी देव, तिपलिओवमठिया तीन पल्योपम की स्थिति वाले, तिसागरोवमठिईया - तीन सागरोपम की स्थिति वाले, तेरससागरोवम ठिईया - तेरह सागरोपम की स्थिति वाले, उप्पिं ऊपर, परिवसंति रहते हैं।
भावार्थ - तीन प्रकार के किल्विषी देव कहे गये हैं यथा तीन पल्योपम की स्थिति वाले, तीन सागरोपम की स्थिति वाले और तेरह सागरोपम की स्थिति वाले । गौतम स्वामी पूछते हैं कि हे भगवन् ! तीन पल्यीपम की स्थिति वाले किल्विषी देव कहाँ पर रहते हैं ? भगवान् फरमाते हैं कि ज्योतिषी देवों के ऊपर और सौधर्म और ईशान देवलोकों के नीचे के प्रथम प्रतर में तीन पल्योपम की स्थिति वाले किल्विषी देव रहते हैं । हे भगवन्! तीन सागरोपम की स्थिति वाले किल्विषी देव कहाँ पर रहते हैं ? सौधर्म और ईशान देवलोकों के ऊपर और सनत्कुमार और माहेन्द्र देवलोकों के नीचे के प्रथम प्रतर में तीन सागरोपम की स्थिति वाले किल्विषी देव रहते हैं। हे भगवन् ! तेरह सागरोपम की स्थिति वाले किल्विषी देव कहाँ पर रहते हैं ? ब्रह्मलोक देवलोक के ऊपर और लान्तक देवलोक के नीचे तीसरे प्रतर में तेरह सागरोपम की स्थिति वाले किल्विषी देव रहते हैं।
विवेचन किल्विषक देवों के लिए टीकाकार ने कहा है।
णाणस्स केवलीणं धम्मायरियस्स संघ साहूणं ।
माई अवण्णवाई किब्बिसियं भावणं कुणइ ||
ज्ञान का, केवली का, धर्माचार्य का, संघ का और साधुओं का अवर्णवाद बोलने वाला तथा जो मायावी होता है वह किल्विषी भावना करता है। ऐसी भावना से उत्पन्न किल्विषी (पाप) जिसके उदय में हो, वे किल्विषिक कहलाते हैं।
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मनुष्यों में जैसे चाण्डाल अस्पृश्य और अधम माना जाता है वैसे ही देवों में किल्विषी देव चाण्डाल के समान अस्पृश्य और अधम माने जाते हैं।
इसी ठागांग सूत्र के दसवें ठाणे में भवनपति, वाणव्यन्तर, ज्योतिषी और वैमानिक इन चारों जाति के देवों में इन्द्र सामानिक यावत् किल्विषिक इस प्रकार दस-दस भेद बताये हैं। इस अपेक्षा से चारों
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