SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 190
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ स्थान ३ उद्देशक २ १७३ 000000000000000000000000000000000000000000000000000 समिया जहेव चमरस्स, एवं तायत्तीसगाणं वि। लोगपालाणं तुंबा तुडिया पव्वा, एवं अग्गमहिसीणं वि, बलिस्स वि एवं चेव, जाव अग्गमहिसीणं। धरणस्स य सामाणिय तायत्तीसगाणं य समिया चंडा जाया। लोगपालाणं अग्गमहिसीणं ईसा तुडिया दढरहा। जहा धरणस्स तहा सेसाणं भवणवासीणं। कालस्स णं पिसाइंदस्स पिसायरण्णो तओ परिसाओ पण्णत्ताओ तंजहा - ईसा तुडिया दढरहा, एवं सामाणिय अग्गमहिसीणं, एवं जाव गीयरइ गीयजसाणं। चंदस्स णं जोइसिंदस्स जोइसरण्णो तओ परिसाओ पण्णत्ताओ तंजहा - तुंबा तुडिया पव्वा, एवं सामाणिय अग्गमहिसीणं एवं सूरस्स वि। सक्कस्स णं देविंदस्स देवरण्णो तओ परिसाओ पण्णत्ताओ तंजहा-समिया चंडा जाया, एवं जहा चमरस्स जाव अग्गमहिसीणं, एवं जाव अच्चयस्स लोगपालाणं ७६ भावार्थ - असुरकुमारों के राजा, असुरकुमारों के इन्द्र चमर की तीन परिषदाएं कही गई हैं यथासमिता, चण्डा और जायान समिता आभ्यन्तर परिषदा है। इस परिषदा वाले देव देवी प्रयोजन होने पर बुलाने से आते हैं। चण्डा मध्यम परिषदा है। इसके देव देवी बुलाने पर अथवा बिना बुलाये भी आते हैं। जाया बाहरी परिषदा है। इसके देव देवी बिना बुलाये ही आते हैं। असुरकुमारों के राजा, असुरकुमारों के इन्द्र चमर के सामानिक देवों की तीन परिषदाएं कही गई हैं यथा - समिता, चण्डा और जाया। जैसी कि चमरेन्द्र की कही गई है वैसी ही जानना चाहिए। चमरेन्द्र के त्रायस्त्रिंशक देवों के भी इसी प्रकार की तीन परिषदाएं हैं। चमरेन्द्र के लोकपाल देवों की तुम्बा, त्रुटिता और पर्वा, ये तीन परिषदाएं हैं और चमरेन्द्र की अग्रमहिषियों की भी इसी प्रकार तुम्बा, त्रुटिता और पर्वा ये तीन परिषदाएं हैं। इसी प्रकार बलीन्द्र की, उसके सामानिक और त्रायस्त्रिंशक देवों के समिता, चण्डा और जाया ये तीन परिषदाएं हैं और उनके लोकपाल देवों की यावत् अग्रमहिषियों की तुम्बा, त्रुटिता और पर्वा ये तीन परिषदाएं हैं। धरणेन्द्र उसके सामानिक और त्रायस्त्रिंशक देवों की समिता, चण्डा और जाया ये तीन परिषदाएं हैं। इनके लोकपाल और अग्रमहिषियों की ईशा, त्रुटिता और दृढ़रथा, ये तीन परिषदाएं हैं। जैसा धरणेन्द्र का अधिकार कहा है वैसा शेष भवनपति देवों का अधिकार जान लेना चाहिए। । 'पिशाचों के राजा, पिशाचों के इन्द्र की तीन परिषदाएं कही गई हैं यथा - ईशा, त्रुटिता और दृढरथा। इसके सामानिक और अग्रमहिषियों की इसी प्रकार तीन तीन परिषदाएं होती हैं। इसी प्रकार यावत् गीतरति और गीतयश तक सोलह जाति के व्यन्तर देवों के बत्तीस ही इन्द्रों का अधिकार जान लेना चाहिए। ज्योतिषी देवों के राजा, ज्योतिषी देवों के इन्द्र चन्द्रमा की तीन परिषदाएं कही गई हैं यथा - तुम्बा, त्रुटिता और पर्वा। इसी प्रकार इनके सामानिक और अग्रमहिषियों तक तीन तीन परिषदाएं हैं। इसी प्रकार सूर्य का भी सारा अधिकार चन्द्रमा के समान जान Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004186
Book TitleSthananga Sutra Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2008
Total Pages474
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_sthanang
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy