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श्री स्थानांग सूत्र 000000000000000000000000000000000000000000000000000
सौधर्म और ईशान देवलोक के विमान पांच वर्ण वाले हैं। तीसरे और चौथे देवलोक के विमान काले वर्ण को छोड़ कर शेष चार वर्ण वाले हैं। पांचवें और छठे देवलोक के विमान कृष्ण
और नील वर्ण के सिवाय शेष तीन वर्ण वाले हैं। सातवें और आठवें देवलोक के विमान पीले और श्वेत इन दो वर्ण वाले है। नौवें देवलोक से ऊपर के देवलोकों के विमान श्वेत वर्ण वाले हैं।
॥ इति श्री द्वितीय स्थान का तीसरा उद्देशक समाप्त ॥
द्वितीय स्थान का चौथा उद्देशक समया इ वा, आवलिया इ वा, जीवा इ वा, अजीवा इ वा, पवुच्चइ । आणपाणू इ वा, थोवे इ वा, जीवा इ वा, अजीवा इ वा पवुच्चइ। खणा इवा, लवा इ वा, जीवा इ वा, अजीवा इ वा पवुच्चइ। एवं मुहुत्ता इ वा, अहोरत्ता इ वा, पक्खा इ वा, मासा इ वा, उउ इ वा, अयणा इ वा, संवच्छरा इ वा, जुगा इ वा, वाससया इ वा, वाससहस्सा इ वा, वाससयसहस्सा इ वा, वासकोडी इ वा, पुव्वंगा इवा, पुव्वा इ वा, तुडियंगा इवा, तुडिया इ वा, अडडंगा इ वा, अडडा इवा, अववंगा इवा, अववा इ वा, हूहूयंगा इ वा, हूहूया इवा, उप्पलंगा इवा, उप्पलाइ वा, पउमंगा इवा, पउमा इ वा, णलिणंगा इ वा, णलिणा इ वा, अच्छणिउरंगा इ वा, अच्छणिउरा इवा, अउयंगा इवा, अउया इवा, णउयंगा इ वा, णउया इ वा, पउयंगा इवा, पउया इ वा, चूलियंगा इ वा, चूलिया इ वा, सीसपहेलियंगा इ वा, सीसपहेलिया इ वा, पलिओवमा इ वा, सागरोवमा इ वा, उस्सप्पिणी इ वा,
ओसप्पिणी इवा, जीवा इ वा, अजीवा इ वा पवुच्चइ॥४३॥ ____ कठिन शब्दार्थ - समया - समय, आवलिया - आंवलिका, जीवा - जीव, अजीवा - अजीव, पवुच्चइ - कहे जाते हैं, आणपाणू - आण प्राण (श्वासोच्छ्वास), थोवे - स्तोक, खणा - क्षण, लवा - लव, मुहुत्ता - मुहूर्त, अहोरत्ता - अहोरात्रि, पक्खा - पक्ष, मासा - मास, उउ - ऋतु, अयणा - अयन, संवच्छरा - संवत्सर, जुगा - युग, पुव्वंगा - पूर्वाङ्ग, पुव्वा - पूर्व, तुडियंगात्रुटितांग, अडडंगा - अडडाङ्ग, अडडा - अडड, अववंगा - अववाङ्ग, अववा - अवव, हूहूयंगाहूहूकांग, हूहूया - हूहूक, उप्पलंगा - उत्पलांग, उप्पला - उत्पल, पउमंगा - पद्मांग, पउमा - पद्म, णलिणंगा - नलिनाङ्ग, णलिणा - नलिन, अच्छणिउरंगा - अक्षनिकुराङ्ग, अच्छणिउरा - अक्षनिकुर,
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