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________________ [12] 'देव-प्रकार - ... २८६ ___ २८६ विषय . पृष्ठ| विषय पृष्ठ कषाय-भेद २७४-२७८ चतुर्विध अवगाहना २९७-९८ कर्म प्रकृतियों का उपचय आदि २७९ अंग-बाह्य प्रज्ञप्तियाँ २९७-९८ चार प्रकार की प्रतिमाएँ २७९/ चतुर्थ स्थान : द्वितीय उद्देशक अस्तिकाय और अजीवकाय २८० | प्रतिसंलीन और अप्रतिसंलीन . २९९ फल.और मनुष्य ... २८० दीन और अदीन ३००-३०१ सत्य-मृषा एवं प्रणिधान विश्लेषण २८०-८१ | आर्य और अनार्य . ३०२. पुरुष-विश्लेषण - २८२-२८४ वृषभ और पुरुष ३०३-३०४ इन्द्रों के लोकपाल हाथी और पुरुष ३०५-३०७ विकथा के भेद ३०८-११ प्रमाण |धर्म-कथा के भेद ३०८-११ दिक्-कुमारियाँ, विद्युतकुमारियाँ चार प्रकार के पुरुष ... ३१२ मध्यम-परिषद के देवों की स्थिति केवल ज्ञान दर्शन के बाधक-साधक कारण ३१२-१४ संसार के भेद स्वाध्याय-अस्वाध्याय "चतुर्विध दृष्टिवाद लोक-स्थिति .३१४ "चतुर्विध प्रायश्चित्त २८७-८८ पुरुष के भेद ३१४-१५ चतुर्विध काल पुद्गल-परिणाम ३१५-१६ चतुर्विध महाव्रत निरूपण पुरुष और स्त्रियों के भेद ३१७-२० दुर्गति एवं सुगति आपवादिक विधान : . ३२१ काश-क्षीणता तमस्काय ३२१-२२ हास्योत्पत्ति-स्थान चार प्रकार के पुरुष ३२२ चतुर्विध अन्तर सेना और साधक ३२३ भृतक-भेद २९३ चार प्रकार के कषाय और उनकी उपमाएँ ३२४-३२५ पुरुष-भेद २९३ संसार, आयु, भव और आहार के भेद ३२७ -लोकपालों की अग्रमहिषियों - २९४-२९६ / बन्ध, उपक्रम, अल्प बहुत्व के भेद ३२८ गोरस-विगय, स्नेह-विगय, महाविगय २९७-९८ संक्रम निद्यत निकाचित के भेद । ३२८ कूटागार, कूटागार-शालाएँ २९७-९८ एकत्व भेद, कति-भेद ३३२ - ३१४ २८९ / चतुर्विध गर्दा Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004186
Book TitleSthananga Sutra Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2008
Total Pages474
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_sthanang
File Size10 MB
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