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स्थान २ उद्देशक ३
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तक अपनी संतान की प्रतिपालना करते हैं। तीन दिन में आहार करते हैं। हरिवर्ष रम्यक् वर्ष क्षेत्र के मनुष्यों की आयु दो पल्योपम और शरीर की ऊंचाई दो गाऊ की होती है वे दो दिन में आहार करते है और ६४ दिन तक अपनी संतान की पालना करते हैं उनके १२८ पसलियां होती है। हैमवत् हैरण्यवत क्षेत्र के मनुष्यों की आयु १ पल्योपम और अवगाहना १ गाऊ की होती है। वऋषभनाराच संहनन वाले इन युगलिकों के शरीर में ६४ पसलियां होती है एक दिन में आहार करते हैं और ७९ दिन तक संतान की पालना करते हैं।
पूर्व विदेह और पश्चिम विदेह के मनुष्यों की उत्कृष्ट आयु एक करोड पूर्व की और उत्कृष्ट अवगाहना ५०० धनुष की होती है। दुष्षम सुषम नामक चौथे आरे के समान यहां भाव वर्तते हैं। .
जंबहीवे दीवे दो चंदा पभासिंस वा पभासंति वा पभासिस्संति वा। दो सरिया तविंसु वा तवंति वा तविस्संति वा। दो कत्तिया, दो रोहिणीओ, दो मगसिराओ, दो अहाओ एवं भाणियव्वं -
कत्तियसेहिणी मगसिर, अद्दा य पुणव्वसू य पूसो य। तत्तो वि अस्सलेसा, महा य दो फग्गुणीओ य॥ १॥ हत्थो चित्ता साई, विसाहा तह य होइ अणुराहा। जेट्ठा मूलो पुव्वा य, आसाढा उत्तरा चेव ॥ २॥ अभिइ सवा धणिट्ठा, सयभिसया दो य होंति भवया।
रेवइ अस्सिणि भरणी, णेयव्वा आणुपुव्वीए॥ ३॥ एवं गाहाणुसारेणं णेयव्वं जाव दो भरणीओ।दो अग्गी, दो पयावई, दो सोमा, . दो रुहा, दो अइई, दो बहस्सई, दो सप्पी, दो पीई, दो भगा, दो अज्जमा, दो सविया, दो तट्ठा, दो वाऊ, दो इंदग्गी, दो मित्ता, दो इंदा, दो णिरई, दो आऊ, दो विस्सा, दो बम्हा, दो विण्हू, दो वसू, दो वरुणा, दो अया, दो विविद्धी, दो पुस्सा, दो अस्सा, दो यमा। दो इंगालगा, दो बियालगा, दो लोहितक्खा, दो सणिच्चरा, दो आहुणिया, दो पाहुणिया, दो कणा, दो कणगा, दो कणकणगा, दो कणगवियाणगा, दो कणगसंताणगा, दो सोमा, दो सहिया, दो आसासणा, दो कज्जोवगा, दो कब्बडगा, दो अयकरगा, दो दुंदुभगा, दो संखा, दो संखवण्णा, दो संखवण्णाभा, दो कंसा, दो कंसवण्णा, दो कंसवण्णाभा, दो रुप्पी, दो रुप्पाभासा, दो णीला,
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