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________________ स्थान २ उद्देशक ३ ९३ शंका- भवन और प्रासाद में क्या अंतर है ? समाधान - जिसकी लंबाई चौड़ाई विषम हो वह भवन और जो समान लम्बाई चौड़ाई वाला हो वह प्रासाद कहलाता है यह सामान्य नियम है। यहाँ ऐसा नहीं समझना चाहिये। जंबूमंदरस्स पव्वयस्स उत्तरदाहिणेणं दो वासहरपव्वया पण्णत्ता बहुसमतुल्ला अविसेसमणाणत्ता अण्णमण्णं णाइवट्टति आयाम विक्खभुच्चत्तोव्वेहसंठाण परिणाहेणं तंजहा चुल्लहिमवंते चेव सिहरि चेव। एवं महाहिमवंते चेव रुप्पि चेव, एवं णिसढे चेव णीलवंते चेव। जंबूमंदरस्स पव्वयस्स उत्तरदाहिणेणं हेमवयएरण्णवएसु वासेसु दो वट्टवेयडपव्वया पण्णत्ता बहुसमतुल्ला अविसेसमणाणत्ता जाव सहावाई चेव वियडावाई चेव, तत्थ णं दो देवा महिड्डिया जाव पलिओवमट्टिईया परिवसंति तंजहा साई चेव पभासे चेव। जंबूमंदरस्स पव्वयस्स उत्तरदाहिणेणं हरिवास रम्मएसु वासेसु दो वट्टवेयपव्वया पण्णत्ता बहुसमतुल्ला जाव गंधावाई चेव मालवंतपरियाए चेव, तत्थणं दो देवा महिडिया चेव जाव पलिओवमट्टिईया परिवसंति तंजहा अरुणेचेव पउमे चेव। जंबूमंदरस्स पव्वयस्म दाहिणेणं देवकुराए पुत्वावरे पासे एत्व णं आसखंधसरिसा अद्धचंदसंठाणसंठिया दो वक्खारपव्वया पण्णत्ता तंजहा बहुसमतुल्ला जाव सोमणसे चेव विजुप्पभे चेव। जंबूमंदरस्स पव्वयस्स उत्तरेणं उत्तरकुराए पुज्वावरे पासे एत्यणं आसखंघसरिसा अद्धचंदसंठाण संठिया दो वक्खारपव्यया पण्णत्ता तंजहा बहुसमतुल्ला जाव गंधमायणे चेव मालवंते चेव। जंबूमंदरस्स पव्वयस्स उत्तरदाहिणेणं दो दीहवेयह पव्यया पण्णत्ता तंजहा बहुसमतुल्ला जाव भरहे चेव दीहवेयले एरावए चेव दीहवेयड्डे, भरहएणं दीहवेयो दो गुहाओ पण्णत्ताओ बहुसमतुल्लाओ अविसेसमणाणत्ताओ अण्णमण्णं णाइवटुंति आयामविक्खंभुच्चत्तसंठाण परिणाहेणं तंजहा तिमिसगुहा चेव खंडगप्पवायगुहा चेव, तत्य णं दो देवा महिहिया जाव पलिओवमट्टिईया परिवसंति तंजहा - कयमालए चेव णट्टमालए चेव। एरावयए णं दीहवेयके दो गुहाओ पण्णत्ताओ तंजहा - जाव कयमालए चेव णमालए चेव। जंबूमंदरस्स पव्वयस्स दाहिणेणं चुल्लहिमवंते वासहरपव्वए दो कूडा पण्णत्ता बहुसमतुल्ला जाब विक्खंभुच्चत्तसंठाण परिणाहेणं, तंजहा - चुल्लहिमवंत For Personal & Private Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org
SR No.004186
Book TitleSthananga Sutra Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2008
Total Pages474
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_sthanang
File Size10 MB
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