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अध्ययन १ उद्देशक ५ .........................................................
कठिन शब्दार्थ - आउसंतो समणा! - हे आयुष्यमंत श्रमणो!, सव्वजणाए - सभी के लिए णिसिटे - दिया है, भुंजह - खाओ, परिभाएह - बांट लो, तुसिणीओ - मौन रह कर, उवेहिजा - उत्प्रेक्षा-विचार करे, ममं - मेरे, एव - ही, सिया - होवे, आलोइज्जा - आहार दिखाकर कहे, तुमं - तुम, च - और, एव - ही, परिभाएमाणे - विभाग करता हुआ, खद्धं - प्रचुर, डायं - शाक, णिद्धं - स्निग्ध, ऊसढं- वर्णादि गुणों से युक्त, रसियं - रस युक्त, मणुण्णं - मनोज्ञ, लुक्खं - रूक्ष आहार, अमुच्छिए - मूर्छा रहित, अगिद्धे - गृद्धि भाव रहित, अगढिए - आसक्ति भाव रहित (विशिष्ट गृद्धिपन रहित), अणझोववण्णे - लोलुपता रहित, बहुसमं - बिलकुल समान रूप से, एव - ही, परिभाइजा - विभाग करे। .
भावार्थ - ऐसे स्थान पर खड़े साधु को गृहस्थ अशनादिक आहार लाकर देवे और कहे कि - हे आयुष्यमन् श्रमणो! यह आहार मैंने आप सब के लिए दिया है इसे आप सब खा लें या बांट लें। गृहस्थ द्वारा दिये जाने वाले उस आहार को चुपचाप ग्रहण कर साधु मन में विचार करे कि-यह आहार मुझे दिया गया है, मेरे लिए ही है तो उसे माया कपट का स्पर्श होता है अतः उसे ऐसा नहीं करना चाहिये। अपितु ऐसे आहार को लेकर अन्य श्रमणादि के पास जाए और पहले ही इस प्रकार कहे कि- हे आयुष्मन् श्रमणो! यह आहार हम सबको सम्मिलित रूप से मिला है अतः इसे मिल कर खा लो या आपस में बांट लो। ऐसा कहते हुए उस साधु को यदि अन्य भिक्षु इस प्रकार कहे कि-हे आयुष्मन् श्रमण! तुम स्वयं ही इस आहार का विभाजन कर दो, तो वह साधु भोजन का विभाग करते हुए अपने लिए प्रचुर शाक भाजी स्वादिष्ट या उत्तम-उत्तम, रस युक्त (सरस), मनोज्ञ, स्निग्ध पदार्थ या रूक्ष (चणां पापड़ आदि) आहार न रखे। किन्तु वह साधु मूर्छा आसक्ति, गृद्धिपन और सर्व प्रकार की लोलुपता का त्याग करता हुआ सबके लिए समान विभाग करे।
विवेचन - प्रस्तुत सूत्र दुर्भिक्ष आदि विषम परिस्थिति जन्य है, ऐसा पूज्य गुरुदेव फरमाते थे। सूत्र में ही श्रमण (निर्ग्रन्थ, बौद्ध, तापस, गेरिक एवं आजीवक इन पाँच प्रकार के साधुओं को श्रमण शब्द से ग्रहण किया जाता है) ब्राह्मण, ग्रामपिण्डोलक और अतिथि शब्द तो आया ही है। अतः एकांत जैन साधु के लिए यह सूत्र समझना कैसे संगत हो सकता है? जैन साधु एवं साम्भोगिक साधु भी इस पाठ में सम्मिलित आ जाते हैं। पाठ से स्पष्ट है कि सभी प्रकार के व्यक्ति वहाँ हो, यह आवश्यक नहीं है। सभी के लिए समान विधि होने से साथ में सभी के नाम बता दिये हैं।
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