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आचारांग सूत्र द्वितीय श्रुतस्कंध worrotssooritrroristerrorrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrs.
और इन विविध प्रकार के शस्त्रास्त्रों को धारण करो अथवा इस बालक को पानी आदि पिला दो, तो साधु ऐसे वचनों को स्वीकार नहीं करता हुआ मौन रहे।
से णं परो णावागओ णावागयं वइज्जा-आउसंतो ! एस णं समणे णावाए भंडभारिए भवइ। से णं बाहाए गहाय णावाओ उदगंसि पक्खिविज्जा, एयप्पगारं णिग्योसं सुच्चा णिसम्म से य चीवरधारी सिया, खिप्पामेव चीवराणि उव्वेढिज्ज वा णिवेढिज्ज वा उप्फेसं वा करिज्जा॥
कठिन शब्दार्थ - भंडभारिए - भंडोपकरण की तरह भारभूत, पक्खिविज्जा - फैंक दो, चीवराणि - वस्त्रों को, उव्वेढिज्ज - अलग कर ले, णिव्वेढिज्ज - धारण कर ले, उप्फेसं वा करिज्जा - सिर पर लपेट ले।
भावार्थ - नौका पर सवार कोई व्यक्ति (नाविक) नौका में बैठे अन्य व्यक्ति से इस प्रकार कहे कि हे आयुष्मन् गृहस्थ ! यह साधु भण्डोपकरण की तरह नौका पर भारभूत है अतः इसे भुजाओं से पकड़ कर नौका से बाहर पानी में फैंक दो। इस प्रकार के शब्द . सुनकर वस्त्रधारी साधु साध्वी शीघ्र ही भारी वस्त्रों को पृथक् कर दे और हल्के वस्त्रों को शरीर पर धारण कर ले तथा सिर पर लपेट ले। ___ अह पुण एवं जाणिज्जा-अभिक्कतकूरकम्मा खलु बाला बाहाहिं गहाय णावाओ उदगंसि पक्खिविज्जा, से पुव्वामेव वइज्जा-आउसंतो गाहावइ ! मा मेत्तो बाहाए गहाय णावाओ उदगंसि पक्खिवह। सयं चेव णं अहं णावाओ उदगंसि ओगाहिस्सामि। से सेवं वयं परो सहसा बलसा बाहाहिं गहाय णावाओ उदगंसि पक्खिविज्जा, तं णो सुमणे सिया, णो दुम्मणे सिया, णो उच्चावयं मणं णियंछिज्जा, णो तेसिं बालाणं घायए वहाए समुट्ठिज्जा अप्पुस्सुए जाव समाहीए तओ संजयामेव उदगंसि पवज्जिज्जा॥१२१॥
कठिन शब्दार्थ - अभिक्कंतकूरकम्मा - क्रूर कर्म करने के लिए उद्यत, ओगाहिस्सामिउतर जाऊंगा, सुमणे - सुमन-श्रेष्ठ मन वाला, दुम्मणे - दुर्मन-दुष्ट मन वाला, बलसा - बल पूर्वक, मणं - मन को, णियंछिज्जा - न करे, उच्चावयं - ऊंचा-नीचा, घायए - घात करने के लिए, वहाए - वध करने के लिए, समुद्विज्जा - उद्यत होवे।
भावार्थ - साधु साध्वी यह जाने कि-अत्यंत क्रूर कर्म करने वाले अज्ञानी लोग मुझे भुजाओं
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