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___ [15] RRRRRRRRRRRRRRRRRRRRRRRR8888888888888888888888 श्री चरणों में हमारा निवेदन है कि इस आगम का अवलोकन करावें, इस आगम के मूल पाठ, अर्थ, अनुवाद, विवेचन आदि में कहीं पर भी कोई अशुद्धि, गलती आदि दृष्टिगोचर हो तो हमें सूचित करने की कृपा करावें। हम उनके आभारी होंगे और अगले संस्करण में यथायोग्य संशोधन करने का ध्यान रखेंगे। ____ इस प्रकाशन के आर्थिक सहयोगी स्वर्गीय दानवीर सेठ श्री वल्लभचन्दजी सा. डागा, जोधपुर के पाँचों पुत्र रत्न सर्वश्री हुकमचन्दजी सा., इन्द्रचन्दजी सा., प्रसन्नचन्दजी सा. विमलचन्दजी सा., ऋषभचन्दजी सा. डागा हैं। सभी पुत्र रत्न धार्मिक संस्कारों से संस्कारित और अपने पूज्य पिताश्री के पदचिन्हों पर चलने वाले हैं। सभी की भावना है कि सेठ सा. द्वारा जो शुभ प्रवृत्तियाँ चालू थी वे सभी निरन्तर चालू रखी जाय। तदनुसार आगम प्रकाशन के आर्थिक सहयोग में भी आप सदैव तैयार रहते हैं। मेरे निवेदन पर आप सभी ने इस प्रकाशन के आर्थिक सहयोग के लिए स्वीकृति प्रदान कर उदारता का परिचय दिया। इसके लिए समाज आपका आभारी है।
आपकी उदारता एवं धर्म भावना का संघ आदर करता है। आपने प्रस्तुत आगम पाठकों को अर्द्ध मूल्य में उपलब्ध कराया। उसके लिए संघ एवं पाठक वर्ग आपका आभारी है।
आचारांग सूत्र भाग १ की प्रथम आवृत्ति का प्रकाशन सितम्बर २००४ में हुआ था। जो अल्प समय में ही अप्राप्य हो गई। अब इसकी यह द्वितीय आवृत्ति प्रकाशित की जा रही है। यद्यपि कागज और मुद्रण सामग्री के मूल्यों में निरन्तर वृद्धि हो रही है एवं इस पुस्तक के प्रकाशन में जो कागज काम में लिया गया है वह श्रेष्ठ उच्च क्वालिटी का मेपलिथो, बाईंडिंग पक्की तथा सेक्शन है बावजूद इसके उदारमना डागा परिवार जोधपुर के आर्थिक सहयोग के कारण इसका अर्द्ध मूल्य मात्र ३०) रुपये ही रखा गया है। जो अन्यत्र स्थान से प्रकाशित आगमों से अति अल्प है।
सुज्ञ पाठक बंधु इस द्वितीय आवृत्ति का अधिक से अधिक लाभ उठावें। इसी शुभ भावना के साथ!
ब्यावर (राज.) दिनांकः ४-११-२००६
संघ सेवक
नेमीचन्द बांठिया अ. भा. सु. जैन सं. र. संघ, जोधपुर
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