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क्षेत्रोपक्रम
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भावार्थ - अचित्त द्रव्योपक्रम कैसा है?
अचित्त द्रव्योपक्रम चीनी, गुड़, मिश्री आदि पदार्थों से संबद्ध है। अर्थात् विशेष साधनों द्वारा उन पदार्थों में मिठास की वृद्धि करना एतत्रूप परिकर्म तथा इनका विनाश या विध्वंसरूप उपक्रम अचित्त द्रव्योपक्रम है।
(६७) .. .
मिश्र द्रव्योपक्रम से किं तं मीसए दव्योवक्कमे? ..
मीसए दव्योवक्कमे - से चेव थासगआयंसगाइमंडिए आसाइ। सेत्तं मीसए दव्वोवक्कमे। सेत्तं जाणयसरीर-भवियसरीरवइरित्ते दव्वोवक्कमे। सेत्तं णोआगमओ दव्योवक्कमे। सेत्तं दव्वोवक्कमे।
शब्दार्थ - थासग - स्थासक-घोड़े को सजाने का आभूषण विशेष, आयंसगाइमंडिए - दर्पण आदि से मंडित, आसाइ - अश्व आदि।
भावार्थ - मिश्र द्रव्योपक्रम किस प्रकार का है?
आभरण विशेष तथा दर्पण आदि से सुशोभित अश्व आदि से इसका संबंध है। अर्थात् इनसे संबद्ध वृद्धि विकास आदि रूप परिकर्म तथा विनाश मूलक उपक्रम मिश्र द्रव्योपक्रम है। यह ज्ञशरीर-भव्यशरीर-व्यतिरिक्त द्रव्योपक्रम का स्वरूप है। यह नोआगमतो द्रव्योपक्रम है। यह द्रव्योपक्रम का निरूपण है।
(६८)
क्षेत्रोपक्रम से किं तं खेत्तोवक्कमे?
खेत्तोवक्कमे-जंणं हलकुलियाईहिं खेत्ताई उवक्कमिजंति। सेत्तं खेत्तोवक्कमे।
शब्दार्थ - जं - यत्-जो, णं - ननु-निश्चय ही, हलकुलियाईहिं - हल, खुरपे आदि द्वारा, खेत्ताई - क्षेत्रों को-अन्नोत्पादक भू भागों को, उवक्कमिजंति - उत्क्रांत करते हैंअन्नोत्पादन योग्य बनाते हैं।
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