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काल समवतार
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समोयरइ आयभावे य। एवमाणापाणू थोवे लवे मुहुत्ते अहोरत्ते पक्खे मासे उऊ अयणे संवच्छरे जुगे वाससए वाससहस्से वाससयसहस्से पुव्वंगे पुव्वे तुडियंगे तुडिए अडडंगे अडडे अववंगे अववे हुयंगे हुहुए उप्पलंगे उप्पले पउमंगे पउमे णलिणंगे णलिणे अत्थणिउरंगे अत्थणिउरे अउयंगे अउए णउयंगे णउए पउयंगे पउए चूलियंगे चूलिया सीसपहेलियंगे सीसपहेलिया पलिओवमे सागरोवमे-आयसमोयारेणं आयभावे समोयरइ, तदुभयसमोयारेणं ओसप्पिणीउस्सप्पिणीसु समोयरइ आयभावे य। ओसप्पिणीउस्सप्पिणीओ आयसमोयारेणं आयभावे समोयरंति, तदुभयसमोयारेणं पोग्गलपरियट्टे समोयरंति आयभावे य। पोग्गलपरियट्टे आयसमोयारेणं
आयभावे समोयरइ, तदुभयसमोयारेणं तीतद्धाअणागतद्धासु समोयरइ। तीतद्धाअणागतद्धाउ आयसमोयारेणं आयभावे समोयरंति, तदुभयसमोयारेणं सव्वद्धाए समोयरंति आयभावे य। सेत्तं कालसमोयारे।
भावार्थ - कालसमवतार क्या है - कितने प्रकार का है?
कालसमवतार दो प्रकार का प्रज्ञप्त हुआ है - १. आत्मसमवतार एवं २. तदुभयसमवतार। ___ आत्मसमवतार की अपेक्षा से समय आत्मभाव में समवसृत है तथा तदुभय समवतार की अपेक्षा से वह आवलिका में भी और आत्मभाव में भी अवस्थित है। इसी प्रकार आनप्राण, स्तोक, लव, मुहूर्त, अहोरात्र, पक्ष, मास, ऋतु, अयन, संवत्सर, युग, शताब्दी (वर्षशत), वर्ष सहस्र (सहस्राब्दी), लक्षाब्दी, पूर्वांग, पूर्व, त्रुटितांग, त्रुटित, अटटांग, अटट, अववांग, अवव, हुहुकांग, हुहुक, उत्पलांग, उत्पल, पद्मांग, पद्म, नलिनांग, नलिन, अक्षनिकुरांग, अक्षनिकुर, अयुतांग, अयुत, नयुतांग, नयुत, प्रयुतांग, प्रयुत, चूलिकांग, चूलिका, शीर्षप्रहेलिकांग, शीर्षप्रहेलिका, पल्योपम, सागरोपम - ये समस्त आत्मसमवतार की अपेक्षा से आत्मभाव म तथा तदुभयसमवतार की दृष्टि से अवसर्पिणी-उत्सर्पिणी में भी समवसृत है, आत्मभाव में तो हैं ही।
पुद्गलपरावर्तनकाल - आत्मसमवतार की अपेक्षा से आत्मभाव में तथा तदुभयसमवतार की अपेक्षा से अतीत एवं अनागत काल में भी समवसृत है। अतीत अनागत काल आत्मसमवतार की दृष्टि से आत्मभाव में तथा तदुभय समवतार की दृष्टि से सर्वाद्धा काल में समवसृत है, आत्मभाव में तो हैं ही।
यह काल समवतार का स्वरूप है।
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